Saturday 1 October 2011

87. BHAKTI KE VIGHNA


   ✅  भक्ति के विघ्न  ✅  
    ▶ भक्ति रसामृत सिन्धु ग्रन्थ में भक्ति के ८ विघ्नों का वर्णन आया है, हम खुद आत्म निरीक्षण करके देखे - हम कितने पानी में हैं 
    ▶ शास्त्र में जो मना किया है, उसे करना, जैसे बिहारीजी को पति मानकर राधा जी की सौत बनना=निषिद्ध-आचरण
    ▶ नानवज खाना, जीवों को मन, वचन, कर्म, कार्य से दुःख देना=जीव-हिंसा
    ▶ अपने दुखों की निवृत्ति 'मुक्ति' की कामना करना=मुक्ती
    ▶ भक्त का वेश बना कर या भक्ति का आचरण करते हुए सम्मान पाने या अपनी पूजा की कामना=पूजा  ▶ में एक उंचा भक्त हूँ, सामान्य से श्रेष्ठ हूँ, लोग मुझे प्रतिष्ठित समझें,=प्रतिष्ठा
    ▶ भक्ति करते हुए लौकिक लाभ धन, यश आदि की कामना=लाभ
    ▶ भक्ति करते हुए आश्रम, कार, एसी, स्त्री आदि भोगों की कामना=भुक्ति
    ▶ दूसरे मत के लोगो से सत्संग के नाम पर कुतर्क करना, पूछने के नाम पर समझना कम समझाना अधिक , अपनी बात पर ज़बरदस्ती मुहर लगवाना=कुतर्क 


🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚

🐚 ॥ जय निताई  ॥ 🐚



🖊 लेखक: आदरणीय Dasabhas DrGiriraj Nangia जी जी (Lives, Born, Works = L B W at Vrindaban)

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