✅ भक्ति के विघ्न ✅
▶ भक्ति रसामृत सिन्धु ग्रन्थ में भक्ति के ८ विघ्नों का वर्णन आया है, हम खुद आत्म निरीक्षण करके देखे - हम कितने पानी में हैं
▶ शास्त्र में जो मना किया है, उसे करना, जैसे बिहारीजी को पति मानकर राधा जी की सौत बनना=निषिद्ध-आचरण
▶ नानवज खाना, जीवों को मन, वचन, कर्म, कार्य से दुःख देना=जीव-हिंसा
▶ अपने दुखों की निवृत्ति 'मुक्ति' की कामना करना=मुक्ती
▶ भक्त का वेश बना कर या भक्ति का आचरण करते हुए सम्मान पाने या अपनी पूजा की कामना=पूजा ▶ में एक उंचा भक्त हूँ, सामान्य से श्रेष्ठ हूँ, लोग मुझे प्रतिष्ठित समझें,=प्रतिष्ठा
▶ भक्ति करते हुए लौकिक लाभ धन, यश आदि की कामना=लाभ
▶ भक्ति करते हुए आश्रम, कार, एसी, स्त्री आदि भोगों की कामना=भुक्ति
▶ दूसरे मत के लोगो से सत्संग के नाम पर कुतर्क करना, पूछने के नाम पर समझना कम समझाना अधिक , अपनी बात पर ज़बरदस्ती मुहर लगवाना=कुतर्क
🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई ॥ 🐚
🖊 लेखक: आदरणीय Dasabhas DrGiriraj Nangia जी जी (Lives, Born, Works = L B W at Vrindaban)
💻 अधिकृत फेसबुक पेज : https://www.facebook.com/ShriHarinamPress
💻 अधिकृत ब्लॉग : http://www.shriharinam.blogspot.in
🖥 वेबसाइट : http://harinampress.com/
📽यूट्यूब चैनल : https://www.youtube.com/channel/UCP1O_g-hYWlSJVkRiko0qwQ
🎤 वौइस् नोट्स : http://YourListen.com/Dasabhas
No comments:
Post a Comment