Wednesday, 19 October 2011

116. मुझे उबार दो !!!



 मुझे उबार दो !!!


बात कुछ ऐसी बनी
भक्त - इष्ट में ठनी

हम पतित
तुम पतित - पावन
दुष्ट हम
तुम तरन - तारण
राम तुम
हम सदा से रावण
बात क्या है ? क्या है कारण??

तारते हम को नहीं?
उबारते हमको नहीं!
छोटे=मोटे, कच्चे-खोटे
हैं नहीं हम
जोर पड़ता है बड़ा
तुम मानते ये क्यों नहीं ?

तार दो ! प्रभु तार दो !!
मुझे जीत लो , मुझे हार दो !
मेरे दुर्गुणों को मार दो
इस जीव को उबार दो
इस बात को व्यवहार दो
'गिरिराज' को उबार दो !!!!!!!!!!!!!

JAI SHRI RADHE

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