Saturday, 29 October 2011

128. समुद्र - मंथन





१. हलाहल विष - शिव ने पीया

२. कामधेनु - ऋषियों ने ली

३. उच्चैश्रवा घोड़ा - बलि ने लिया

४. ऐरावत हाथी - इन्द्र ने लिया

५. कौस्तुभ मणि - विष्णु ने ह्रदय पर धारण की

६. कल्पवृक्ष - स्वर्ग के नंदनवन में लगाया

७. अप्सराये - दिव्य वस्त्र पहने थीं, देव सभा में मनोरंजन हेतु

८. लक्ष्मी जी - ने श्रीविष्णु का वरन किया

९. वारुनी - कन्या रूप में - दैत्यों ने लिया

१०. अमृत-कलश सहित धन्वन्तरी - भाग दौड़ मच गयी अंततः देवताओं को मिला

JAI SHRI RADHE


DASABHAS Dr GIRIRAJ nangia
Lives, Born, Works = L B W at Vrindaban

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