प्रभु कृपा के दर्शन : समीक्षा
१. हमारे आस पास जो भी है, हो रहा है, जो भी
सुख, श्रेष्ठता है, सभी मै प्रभु की ही कृपा के दर्शन करो
समीक्षा करो कि प्रभु ने कितनी कृपा कि है कि हम इस लायक वने है
२. जो इस प्रकार सदा सर्वदा उनकी कृपा को ही
सब कुछ का कारण मानता है,
उसके द्वारा किये हुए अगले पिछले जन्मो के पाप भुंज जाते हैं अपना
फल नहीं देते - जबकि सिद्धांत है कि " अवश्यमेव भोकन्यं कृतं
कर्म शुभाशुभं
३. ह्रदय से, वाणी से, शरीर से सदैव जो विधिपूर्वक,
सिस्टम को फोलो करते हुए सदैव प्रभु को इस भाव से नमस्कार,
प्रणाम, सेवा करता है
४. वह स्वत: ही "भक्ति" का उत्तराधिकारी बन जाता है, भक्ति
करने कि योग्यता प्राप्त कर उसे भक्ति सहज ही प्राप्त हो जाती है
ठीक वैसे, जैसे पिता कि सम्पत्ति स्वत: ही संतान को मिल
जाती है - खरीदनी नहीं पड़ती
JAI SHRI RADHE
DASABHAS Dr GIRIRAJ nangia
made to serve ; GOD thru Family n Humanity
Lives, Born, Works = L B W at Vrindaban
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