जो खुद जले
औ बहार दे
उस 'दीप' को क्या नाम दूँ ?
जो खुद मिटे
औ निखार दे उस ढेर को 'गन्दगी' कहूँ ??
दीप ये जलते रहें
मीत यूँ मिलते रहें
आप यूँ खिलते रहें
दीप सब जल जायेंगे
सब कमल खिल जायेंगे
कामना मेरी दुआ
काम सब बन जायेंगे
यह दीप पर्व महान हो !
खुशहाल मृदु मधु मान हो !
हर बात में भगवान् हो !
यह दीप पर्व महान हो !
'गिरि' दीप पर्व महान हो !
दिवाली की जय श्री राधे !! राधे !!
DASABHAS Dr GIRIRAJ nangia



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