Tuesday, 25 October 2011

123. दीपावली की राधे - राधे





जो खुद जले  
औ बहार दे
उस 'दीप' को क्या नाम दूँ ?
जो खुद मिटे 
औ निखार दे उस ढेर को 'गन्दगी' कहूँ ??

दीप ये जलते रहें
मीत यूँ मिलते रहें
में यूँ ही सेवा करूँ 
आप यूँ खिलते रहें

दीप सब जल जायेंगे
सब कमल खिल जायेंगे
कामना मेरी दुआ
काम सब बन जायेंगे

यह दीप पर्व महान हो !
खुशहाल मृदु मधु मान हो !
कुछ भी करो, कुछ भी कहो 
हर बात में भगवान् हो !
यह दीप पर्व महान हो !
'गिरि' दीप पर्व महान हो !

दिवाली की जय श्री राधे !! राधे !!
DASABHAS Dr GIRIRAJ nangia

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