Saturday, 15 October 2011

110. लौट न आइये !!!




लौट न अइये !!!


चल मन वृन्दावन चल रहिये 


परम पुनीत सो ब्रज की धरणी रज धर शीश जनम - फल लहिये 

मंजुल सघन पुलिन यमुना तट सुन्दर पर्ण - कुटी तहां छइये
संत टूक लहि, पाय यमुना जल मिली रसिकन राधावर गइए
विरहत आवहिं युगललाल जब दर्शन कर मन व्यथा मिटइये 
'श्याम' कृपा ऐसी कब करिये चल वृन्दावन लौट न अइये 


JAI SHRI RADHE


DASABHAS Dr GIRIRAJ nangia 

Lives, Born, Works = L B W at Vrindaban


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