Thursday, 23 June 2016

सूक्ष्म सूत्र / गागर में सागर भाग 9

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सूक्ष्म सूत्र / गागर में सागर
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 🔮 भाग 9

💡भगवान को प्रसन्न करने की
चेष्टा करनी चाहिए, वे तो सदा-
सर्वदा तैयार खड़े रहते हैं
निष्कपट जीवो को अपनाने के लिए
और हम नासमझ है कि
भागते रहते हैं संसार के लोगों को
प्रसन्न करने के लिए
उनकी चाटुकारिता करते हुए.

💡जैसे वायु सर्वत्र है परंतु
उसे अनुभव करने के लिए
पंखा लगाना पड़ता है.
ऐसे ही भगवान सर्वत्र हैं
उनको अनुभव करने के लिए
मंदिर में उनका श्री विग्रह
स्थापित करना पड़ता है.

💡किसी वैष्णव को कोई भी पदार्थ
ठाकुर को भोग रखने के पश्चात ही
ग्रहण करना चाहिए.
बिना तुलसी के ठाकुर कुछ भी
स्वीकार नहीं करते.
ठाकुरजी के सम्मुख रखकर ही
भोग में तुलसी डालने का विधान है.
रसोई से भोग में तुलसी डालकर
ले जाना अनुचित है.

🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई  ॥ 🐚


🖊  लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया 
LBW - Lives Born Works at vrindabn

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