✅ आप कैसे हैं ✅
▶दो प्रकार की सोच के व्यक्ति हैं
▶1 । ये क्लेश । रुकावटों को काटने की प्रार्थना करते हैं । ये मानते हैं कि जब तक अनुकूलता नही आएगी भजन कैसे होगा ।
▶साथ ही इनका मानना है की जब तक उनकी मर्ज़ी नही होगी । भजन कैसे होगा ।
▶पहले सब व्यवस्था बने तब ही तो भजन म मन लगेगा । झंझट दूर नही होंगे टी चित्त कैसे लगेगा
▶2 । कुछ ऐसे हैं जो भजन पर केंद्रित रहते हैं । वे जैसा बने । जब बने भजन शुरू कर देते हैं । झंझट कभी खत्म हुए हैं जो अब होंगे ।
▶ये दुःख । झंझट की उपेक्षा करते हैं । ये सब चलने दो । इन्हें मिटाने में जीवन व्यर्थ हो जाएगा ।
▶रही कृपा की बात । तो मानव जन्म का मूल उद्देश्य भजन ह । यदि मानव जन्म मिल गया तो कृपा तो हो गई भगवान की । अब अपनी शक्ति । इच्छा को पहचान कर बस शुरू करना है एक बार । आगे रास्ता मिलेगा ।
▶पहली प्रकार के लोग अटके रह जाते हैं और दूसरी प्रकार के बढ़ते जाते हैं ।
▶हमारा केंद्र भजन पर हो । बाकी सब तो सेकेंडरी है । होता रहेगा । करते रहो । जिस प्रकार एक क्षण भी सांस के बिना नही उसी प्रकार एक दिन भी भजन के बिना नही ।
▶इसमें कृपा यही होनी है की हमे ये बात पक्की पक्की समझ आ जाय ।प्रयास भी समझने का हमे ही करना होगा । आ जायेगी
🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई ॥ 🐚
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