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सूक्ष्म सूत्र / गागर में सागर
🏺🏺🏺🏺🏺🏺🏺🏺🏺🏺
🔮 भाग 3
💡 पांच इन्द्रियों के पांच विषय और
उनके पांच अधिष्ठातृ देवता माने गये हैं
कर्ण का विषय-शब्द, देवता-दिक्
त्वचा का विषय-स्पर्श] देवता-वासुदेव
नेत्र का विषय-रूप, देवता-सूर्य
जिह्वा का विषय-आस्वादन] देवता-वरुण
नासिका का विषय-गंध, देवता-अशिवनीकुमार
💡 जिस दिन हमारा
अहम
समाप्त हो जायेगा ,
उस दिन हमारी
मान-प्रतिष्ठा, यश-अपयश
की भावना
स्वतः समाप्त हो जाएगी
💡 क्या अच्छा है क्या बुरा है
इसका निर्णय शास्त्र करते है
कोई मनुष्य नही, वे भी उन्ही बातो को
प्रस्तुत करते है जो शास्त्र कहते है.
और शास्त्रीय बाते है - प्रस्थानत्रयी -
उपनिषद, ब्रह्मसूत्र, और गीता में
अर्थात
अपौरुषेय वाणी अर्थात भागवद वाणी
🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई ॥ 🐚
🖊 लेखक: आदरणीय Dasabhas DrGiriraj Nangia जी
💻 अधिकृत फेसबुक पेज : https://www.facebook.com/ShriHarinamPress
💻 अधिकृत ब्लॉग : http://www.shriharinam.blogspot.in
🖥 वेबसाइट : http://harinampress.com/
📽यूट्यूब चैनल : https://www.youtube.com/channel/UCP1O_g-hYWlSJVkRiko0qwQ
🎤 वौइस् नोट्स : http://YourListen.com/Dasabhas
सूक्ष्म सूत्र / गागर में सागर
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🔮 भाग 3
💡 पांच इन्द्रियों के पांच विषय और
उनके पांच अधिष्ठातृ देवता माने गये हैं
कर्ण का विषय-शब्द, देवता-दिक्
त्वचा का विषय-स्पर्श] देवता-वासुदेव
नेत्र का विषय-रूप, देवता-सूर्य
जिह्वा का विषय-आस्वादन] देवता-वरुण
नासिका का विषय-गंध, देवता-अशिवनीकुमार
💡 जिस दिन हमारा
अहम
समाप्त हो जायेगा ,
उस दिन हमारी
मान-प्रतिष्ठा, यश-अपयश
की भावना
स्वतः समाप्त हो जाएगी
💡 क्या अच्छा है क्या बुरा है
इसका निर्णय शास्त्र करते है
कोई मनुष्य नही, वे भी उन्ही बातो को
प्रस्तुत करते है जो शास्त्र कहते है.
और शास्त्रीय बाते है - प्रस्थानत्रयी -
उपनिषद, ब्रह्मसूत्र, और गीता में
अर्थात
अपौरुषेय वाणी अर्थात भागवद वाणी
🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई ॥ 🐚
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