Wednesday, 29 June 2016

नित्य और नैमित्तिक

✅  नित्य और नैमित्तिक  ✅


▶ एक होता ह नित्य
▶ अर्थात होना ही है । होता ही है
▶ जेसे साँस लेना
▶ स्नान करना
▶ ठाकुर की सेवा
▶ भोग
▶ आरती

▶ दूसरा होता है नैमित्तिक
▶ अर्थात निमित्त । करने का कुछ कारण
▶ आज रथयात्रा ह । रथ पर दर्शन
▶ आज होली है गुलाल लगेगा
▶ आदि आदि

▶ इसी प्रकार साधन भी
▶ नित्य एवम् नैमित्तिक होते हैं

▶ नाम जप । संकीर्तन
▶ एकादशी आदि नित्य हैं

साधू भोजन द्वारा सेवा आदि नैमित्तिक

▶ लेकिन साधन श्रेष्ठता की  बात होगी तो
▶ नाम नामी अभिन्न हैं
▶ नाम नामी से भी श्रेष्ठ है
▶ नाम अंगी यानी शरीर है

एकादशी श्रवणपूजन ।अर्चन
▶ आदि अंग है । जेसे शरीर का अंग हाथ

▶ इस दृष्टि से एकादशी व्रत
▶ कभी भी नाम के समान नही है
▶ अतः ध्यान रहे

🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई  ॥ 🐚



 🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया  
LBW - Lives Born Works at vrindabn

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नित्य और नैमित्तिक

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