Saturday, 11 June 2016

सूक्ष्म सूत्र / गागर में सागर भाग 4

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सूक्ष्म सूत्र / गागर में सागर

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 🔮 भाग 4

💡 भक्ति का विषय अति कठिनतम है
व्याख्या  अत्यंत क्लिष्ट है
भाव अत्यंत गंभीर है
मार्ग अत्यंत दुरूह है
इसलिए
हर समय व्यक्ति इस विषय पर
टीका टिप्पणी करने का अधिकारी
बिल्कुल नहीं है. मैं भी कदापि नहीं.

💡 जब जब गरीब को रोटी और दूध पिलाने
की बात आती है तो ठाकुर पर दूध चढ़ाने
की मनाही की बात आती है. वह दूध ही
क्यों व्यर्थ दीखता है जबकि अनेक ऐसे
महंगे शौक है जो रोके जा सकते हैं.
धर्म कार्य में ही कटौती क्यों? इसलिए
उसकी जगह ऐसा कहना चाहिए कि:
फिल्म देखने से अच्छा है या
मॉल में या विदेश घूमने से अच्छा है
या महंगी शराब पीने से अच्छा है
या पब-होटल में जाने से अच्छा है कि
गरीब को रोटी खिलाई जाए.

💡 ठाकुर का भोग लगवाकर
या फूल बंगला बनवाकर
उनसे अपने लिए
लौकिक विषयों की
चाहना कामना करना
भक्ति नही है, व्यापार है.
केवल ठाकुर सुख के
विधान के लिए की गयी
क्रियाएँ ही भक्ति का अंग है. 

🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई  ॥ 🐚

🖊 लेखक: आदरणीय Dasabhas DrGiriraj Nangia जी (Lives, Born, Works = L B W at Vrindaban)

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