Wednesday, 1 June 2016

प्रभु की कृपा

✅  प्रभु की कृपा   ✅  

▶ एक वैष्णव रीति है कि आपस में जब मिलते हैं तो एक दूसरे को कहते हैं कि

▶ आप पर प्रभु की बहुत कृपा है । आप धन्य हैं । आप परम वैष्णव हैं हम पर भी कृपा कीजिये ।

▶ ऐसे में सदा ही विनम्रता पूर्वक अपने गुरुदेव । अन्य संत वैष्णवजन को मन ही मन एवम् उनके उत्तर में स्मरण करना चाहिए ।

▶ और यही कहना चाहिए कि ये सब उनकी करुणा है की इस अधम को अपनाया । व बड़े दयालु हैं । कृपालु हैं । उनका ही ह जो कुछ हैं

▶ अहम् तो आना ही नही है । अपितु अहसान फरामोशी भी नहीं । नहीं तो प्रभु । गुरु सोचते हैं कि इतनी कृपा की मेने फिर भी ये ।नहीं है । नही है । करता रहता ।

▶ कोई हमे सम्मान दे । हम तुरंत गुरु । कृष्ण । संत । वैष्णव का गुण गान करने लग जाएँ ।

▶ और सदा ये स्वीकार करें कि
▶ हाँ हाँ । कृपा थोड़ी है । थोड़ी की ज़रूरत है ।

🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई  ॥ 🐚
प्रभु की कृपा
प्रभु की कृपा

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