Tuesday, 14 June 2016

सूक्ष्म सूत्र / गागर में सागर भाग 5

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सूक्ष्म सूत्र / गागर में सागर
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 🔮 भाग 5

💡 श्रीगोविन्द देवजू के वाम पार्श्व में
विराजमान श्रीराधाजू पहले
श्रीजग्गानाथपुरी के चक्रबेड
नामक स्थल पर श्रीलक्ष्मी रूप में
पूजी जाती थी. श्रीवृन्दावन में
श्रीरूपगोस्वामी द्वारा गोमा टीला से
श्रीगोविन्ददेव जू के प्राकट्य के
पश्चात स्वप्नदोष से उन्हें यंहा
लाकर पधराया गया.

💡 महिलाओं को न तो दण्डवत प्रणाम
करना चाहिए और न ही
दण्डौती परिक्रमा लगनी चाहिए.
शास्त्र में प्रमाण है कि
ऐसा करने से सात जन्म तक
श्वेत कुष्ठ भुगतना पड़ता है.
अब तो मान जाओ देवियों!

💡 मन्दिर में श्रीठाकुर की
 परिक्रमा लगाते समय
यह प्रार्थना करनी चाहिए कि
हे प्रभु ऐसी कृपा करो कि अब
इस संसार रूपी भवसागर
में चक्कर न लगाने पड़े

🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई  ॥ 🐚


🖊  लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn

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सूक्ष्म सूत्र / गागर में सागर भाग



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