Monday, 27 June 2016

सूक्ष्म सूत्र गागर में सागर भाग 11

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सूक्ष्म सूत्र / गागर में सागर
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 🔮 भाग 11

💡 कोई मेरा नियम है, मेरी उपासना पद्धति है
मेरी निष्ठा है, मेरी उसमें कट्टरता है.
ऐसे ही दूसरे की भी
निष्ठा किसी अन्य कार्य, अन्य उपासना
अन्य नियम में हो सकती है
और वह उसमें कट्टर भी हो सकता है.
इसलिए निष्ठा अपनी-अपनी
और आदर सब का.

💡 दोस्त के पिताजी को पिताजी कह
सकते है- वे पिता के समान
हो सकते हैं,उनसे बढ़कर आप पर
कृपा करने वाले भी हो सकते हैं
पर पिता के नाम के स्थान पर किसी
दूसरे का नाम कदापि नहीं लिखा जा
सकता ऐसे ही अपना धर्म अपना है.
दूसरे के धर्म का आदर करो पर
निष्ठा अपने ही धर्म में रहे-
"सवधर्मे निधनं श्रेयों:"

💡 वाचाल का सामान्य अर्थ है अधिक बोलने वाला
किंतु जो भगवान गुणगान में वाचल है
उसका अर्थ है - वाचा लं करोति इति वाचाल
अर्थात जो अपनी वाणी से भगवद गुणगान
को अलंकारों से युक्त करता है वह वाचाल है।
विद्वानों ने टीका में कहा है
"मूकं करोति वाचालं"
में वाचाल का अर्थ यही है।
भागवतप्रवक्ता श्री अशोक शास्त्री जी का कथा-रस सार

🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई  ॥ 🐚



🖊  लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया 
LBW - Lives Born Works at vrindabn

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