Wednesday, 22 June 2016

सूक्ष्म सूत्र / गागर में सागर भाग 8

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सूक्ष्म सूत्र / गागर में सागर
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 🔮 भाग 8

💡 “तरेरिव सहिष्णुना”
श्री चैतन्य महाप्रभु ने कहा कि
जीवन के अंतिम क्षण  तक
वृक्ष की भांति सहनशील बनो.
कोई शर्त नही- कोई सीमा नही.
यंहा तक कि मरने कस बाद भी दुसरे
के काम आ सको. वृक्ष की तरह
कटने के बाद भी लकड़ी के रूप में
ईंधन प्रदान करो, बुद्ध भी कहते है
सहनशीलता सबसे बड़ी प्रार्थना है


💡 श्रीहनुमान जी केवल वही पदार्थ
स्वीकार करते है जो श्रीरामजी के
भोग लगा हो. इसलिए जब
श्रीहनुमान जी को भोग लगाना हो
तो पहले श्रीरामजी को भोग लगावें
फिर उस प्रसाद को श्रीहनुमानजी को    
भोग लगावे तभी वे उसे स्वीकारेंगे
अन्यथा तो राम ही जाने 
   
💡 कुछ साधक भगवान की भक्ति
कैसे करे – यह जानने दस लिए गुरु की
शरण में जाते है परन्तु वे गुरु भक्ति में ही
इतने लीन हो जाते है कि उन्हें
भगवद भक्ति की विस्मृति हो जाती है.
यंहा तक कि भगवान को भी
भूल जाते हैं और गुरु को ही भगवान
समझने की भारी भूल कर बैठते है.

🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई  ॥ 🐚



🖊  लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया 
LBW - Lives Born Works at vrindabn

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