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सूक्ष्म सूत्र / गागर में सागर
🏺🏺🏺🏺🏺🏺🏺🏺🏺🏺
🔮 भाग 13
💡 श्रीकृष्ण ने बृज गोपियों के
साथ जो विहार, चीरहरण,
महारासआदि लीलाएं की हैं
वह सब 10 वर्ष 8 माह की उम्र
के अंदर तक की है.
व्रजगोपियों की आयु भी
लगभग इतनी ही समझनी चाहिए.
अतः लीला चिंतन के समय
इस बात का ध्यान रखना परम
आवश्यक है. आधुनिक चित्रकारों
की दूषित तुलिका- चित्रित दृश्य से
उपजे मनोविकारों को स्थान न दें.
💡 जन्म से 5 वर्ष तक : बाल्य
छह से दस वर्ष तक : पौगण्ड
ग्यारह से पंद्रह वर्ष तक : किशोर
और पंद्रह के बाद यौवन अवस्था
मानी जाती है. किन्तु
श्रीकृष्ण के
सन्दर्भ में छोटी उम्र में ही
उनकी व्यस वृद्धि मानी गयी है.
यह एक रहस्य है.
💡 भगवान श्रीकृष्ण की
तीन वर्ष चार महीने तक : कौमार
छह वर्ष आठ महीने तक : पौगण्ड
दस वर्ष आठ महीने तक : किशोर
अवस्था मानी गयी है. और
इतनी ही उम्र तक वे व्रज में रहे.
तथा 125 वर्ष तक पृथ्वी पर
रहते हुए भी वे सदा
किशोर अवस्था में ही रहे.
🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई ॥ 🐚
🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn
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💻 अधिकृत फेसबुक पेज : https://www.facebook.com/ShriHarinamPress
💻 अधिकृत ब्लॉग : http://www.shriharinam.blogspot.in
🖥 वेबसाइट : http://harinampress.com/
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🎤 वौइस् नोट्स : http://YourListen.com/Dasabhas
सूक्ष्म सूत्र / गागर में सागर
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🔮 भाग 13
💡 श्रीकृष्ण ने बृज गोपियों के
साथ जो विहार, चीरहरण,
महारासआदि लीलाएं की हैं
वह सब 10 वर्ष 8 माह की उम्र
के अंदर तक की है.
व्रजगोपियों की आयु भी
लगभग इतनी ही समझनी चाहिए.
अतः लीला चिंतन के समय
इस बात का ध्यान रखना परम
आवश्यक है. आधुनिक चित्रकारों
की दूषित तुलिका- चित्रित दृश्य से
उपजे मनोविकारों को स्थान न दें.
💡 जन्म से 5 वर्ष तक : बाल्य
छह से दस वर्ष तक : पौगण्ड
ग्यारह से पंद्रह वर्ष तक : किशोर
और पंद्रह के बाद यौवन अवस्था
मानी जाती है. किन्तु
श्रीकृष्ण के
सन्दर्भ में छोटी उम्र में ही
उनकी व्यस वृद्धि मानी गयी है.
यह एक रहस्य है.
💡 भगवान श्रीकृष्ण की
तीन वर्ष चार महीने तक : कौमार
छह वर्ष आठ महीने तक : पौगण्ड
दस वर्ष आठ महीने तक : किशोर
अवस्था मानी गयी है. और
इतनी ही उम्र तक वे व्रज में रहे.
तथा 125 वर्ष तक पृथ्वी पर
रहते हुए भी वे सदा
किशोर अवस्था में ही रहे.
🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
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