✅ भक्तों का पाप हरण ✅
▶ इस विषय में शास्त्रों में प्रमाण मिलते हैं कि भगवान भक्तों के पाप हरण कर लेते हैं।
▶ गीता में भी कहा है
▶ मैं तेरे समस्त पापों को हर लूंगा । लेकिन जहां जहां यह बात कही गई है । वहां शर्तें लागू हैं ।
▶ तुम पूर्ण रुप से मेरे शरणागत हो जाओ यह शर्त है । ऐसे ही जिनके पापों का हरण भगवान करते हैं । वह
ऐसे परम वैष्णव भक्त हैं जो
▶ अन्य अभिलाषितात शून्य है
▶ जिनमें अपने सुख की लेशमात्र भी इच्छा नहीं है
▶ जिन में अपने दुख निवृत्ति की इच्छा तो दूर
▶ जिंहें अपने दुख का ज्ञान भी नहीं है
▶ जो हर अवस्था में हर क्षण में केवल श्री गोविंद के सुख विधान करने की तीव्र इच्छा या उत्कंठा में अपना
▶ जीवन दांव पर लगाए हुए हैं जिन्होंने
▶ वेद धर्म । लोकधर्म ।
▶ लोक धर्म से मतलब
▶ पिता का धर्म
▶ पुत्र का धर्म
▶ पत्नी का धर्म
▶ संसार ग्रहस्थ की जिम्मेदारी से है एवं
▶ देह धर्म । शरीर का धर्म । शरीर का नहाना-धोना स्वच्छ रखना आदि-आदि ऐसे कर्मों धर्म कर्मों को
▶ जिन्होंने गोविंद के सुख के लिए जलाकर भस्म कर डाला है । ऐसे ही विशुद्ध भक्तों के कर्मफल को श्री गोविंद जलाते हैं।
▶ यह उनका भक्त वात्सल्य गुण ह। गीता में भी भगवान ने जहां योगक्षेमं वहाम्यहम् की बात कही है वहां यह शर्त लागू है । अनन्याश्चिंतयंतो ।
▶ यानी जो अनन्य भाव से मेरा भजन करते हैं उनका ही योग क्षेम संवाहन करता हूं । इसलिए हम सब लोग पाप हरण की बात तो करते हैं लेकिन भगवान जिन के पाप हरण करते हैं उन भक्तों की एलिजिबिलिटी से हम कोसों दूर है
▶ अतः भजन में लगे रहे साधन में लगे रहे । पहले वैसे भक्त बनने की योग्यता प्राप्त करें । तब दुखों की तरफ हमारा ध्यान ही नहीं रहे । तब प्रभु पाप हरण करें ना करें । यह वह जाने ।
▶ वैसे भी संसार में दो पक्ष हैं
▶ सांसारिक कामों में
▶ शरीर में
▶ लोगों में
▶ रिश्तो में
▶ रोग में
▶ वस्तुओं में
▶ सुख भी है और दुख भी है वास्तव में तो दुख ही है हमें सुख जैसा लगता है लेकिन भगवान के भजन में सुख ही सुख है
▶ दुख का वहां लेश भी नहीं है । क्योंकि भगवान आनंद स्वरुप हैं भगवान के भजन से एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं मिलेगा कि जो परेशान हो गया हो ।
▶ और संसार में एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं मिलेगा जो संसार से परेशान ना हो इसलिए
▶ भजन भजन भजन
🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई ॥ 🐚
🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn
💬 फेसबुक पर https://www.facebook.com/dasabhasgirirajnangia
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▶ इस विषय में शास्त्रों में प्रमाण मिलते हैं कि भगवान भक्तों के पाप हरण कर लेते हैं।
▶ गीता में भी कहा है
▶ मैं तेरे समस्त पापों को हर लूंगा । लेकिन जहां जहां यह बात कही गई है । वहां शर्तें लागू हैं ।
▶ तुम पूर्ण रुप से मेरे शरणागत हो जाओ यह शर्त है । ऐसे ही जिनके पापों का हरण भगवान करते हैं । वह
ऐसे परम वैष्णव भक्त हैं जो
▶ अन्य अभिलाषितात शून्य है
▶ जिनमें अपने सुख की लेशमात्र भी इच्छा नहीं है
▶ जिन में अपने दुख निवृत्ति की इच्छा तो दूर
▶ जिंहें अपने दुख का ज्ञान भी नहीं है
▶ जो हर अवस्था में हर क्षण में केवल श्री गोविंद के सुख विधान करने की तीव्र इच्छा या उत्कंठा में अपना
▶ जीवन दांव पर लगाए हुए हैं जिन्होंने
▶ वेद धर्म । लोकधर्म ।
▶ लोक धर्म से मतलब
▶ पिता का धर्म
▶ पुत्र का धर्म
▶ पत्नी का धर्म
▶ संसार ग्रहस्थ की जिम्मेदारी से है एवं
▶ देह धर्म । शरीर का धर्म । शरीर का नहाना-धोना स्वच्छ रखना आदि-आदि ऐसे कर्मों धर्म कर्मों को
▶ जिन्होंने गोविंद के सुख के लिए जलाकर भस्म कर डाला है । ऐसे ही विशुद्ध भक्तों के कर्मफल को श्री गोविंद जलाते हैं।
▶ यह उनका भक्त वात्सल्य गुण ह। गीता में भी भगवान ने जहां योगक्षेमं वहाम्यहम् की बात कही है वहां यह शर्त लागू है । अनन्याश्चिंतयंतो ।
▶ यानी जो अनन्य भाव से मेरा भजन करते हैं उनका ही योग क्षेम संवाहन करता हूं । इसलिए हम सब लोग पाप हरण की बात तो करते हैं लेकिन भगवान जिन के पाप हरण करते हैं उन भक्तों की एलिजिबिलिटी से हम कोसों दूर है
▶ अतः भजन में लगे रहे साधन में लगे रहे । पहले वैसे भक्त बनने की योग्यता प्राप्त करें । तब दुखों की तरफ हमारा ध्यान ही नहीं रहे । तब प्रभु पाप हरण करें ना करें । यह वह जाने ।
▶ वैसे भी संसार में दो पक्ष हैं
▶ सांसारिक कामों में
▶ शरीर में
▶ लोगों में
▶ रिश्तो में
▶ रोग में
▶ वस्तुओं में
▶ सुख भी है और दुख भी है वास्तव में तो दुख ही है हमें सुख जैसा लगता है लेकिन भगवान के भजन में सुख ही सुख है
▶ दुख का वहां लेश भी नहीं है । क्योंकि भगवान आनंद स्वरुप हैं भगवान के भजन से एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं मिलेगा कि जो परेशान हो गया हो ।
▶ और संसार में एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं मिलेगा जो संसार से परेशान ना हो इसलिए
▶ भजन भजन भजन
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