✅ अपराध ✅
▶ पाप वो है जो लौकिक
विषय में गलत कार्य है । पाप कुछ किया उसका फल कुछ मिलेगा ।
▶ भोगना ही पड़ता है ।
यहाँ या नर्क में । अवश्यमेव भोक्तव्यं
▶ अपराध का
1⃣ लौकिक
जगत स कोई सम्बन्ध नही है ।
2⃣ ये
भगवत विषय में की जाने वाली भूलें हैं ।
3⃣ दो
शब्दों से बना है । आप एवम् राध । राध माने संतोष । आप माने बाधा ।
4⃣ जब
संतोष में बाधा लगे । तब समझो अपराध हुआ ।
5⃣ संतोष
में बाधा या असंतोष ।
किसमे असंतोष । चार विषय में । क्योंकि अपराध
4 प्रकार के है
6⃣ नाम
अपराध
▶ सेवा अपराध
▶ वैष्णव अपराध
▶ भगवद् अपराध
7⃣ जब
जब इन चार विषयों में असंतोष हो तो समझो अपराध हुआ है ।
8⃣ वैष्णव
अपराध को वैष्णव से क्षमा कराना होता है ।बाकी के तीनो नाम लेने से दूर हो जाते
हैं
9⃣ पाप
के लिए जेसे नरक हैं ऐसे अपराध के लिए कोई नर्क नही है
1⃣0⃣ न
ही कोई शारिरिक कष्ट होता है । क्योंकि अपराध का शरीर से कोई लेना देना नही
1⃣1⃣ अपराध
का सम्बन्ध भजन से है । भजन में असंतोष ही इसका फल है
1⃣2⃣ या
यों समझिये की प्रोसेस डिले होगा । जो काम 1 साल में होना ह वो 10 साल
में होगा ।
अतः पाप और अपराध का अंतर समझे रहिये । बचिए
। और डिले होने से बचाइये
🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई ॥ 🐚
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