Thursday, 2 June 2016

अपराध



  अपराध  

 पाप वो है जो लौकिक विषय में गलत कार्य है । पाप कुछ किया उसका फल कुछ मिलेगा ।

 भोगना ही पड़ता है । यहाँ या नर्क में । अवश्यमेव भोक्तव्यं

 अपराध का
1 लौकिक जगत स कोई सम्बन्ध नही है ।
2 ये भगवत विषय में की जाने वाली भूलें हैं ।
3 दो शब्दों से बना है । आप एवम् राध । राध माने संतोष । आप माने बाधा ।
4 जब संतोष में बाधा लगे । तब समझो अपराध हुआ ।
5 संतोष में बाधा या असंतोष ।
किसमे असंतोष । चार विषय में । क्योंकि अपराध 4 प्रकार के है
6 नाम अपराध
       सेवा अपराध
      वैष्णव अपराध
       भगवद् अपराध
7 जब जब इन चार विषयों में असंतोष हो तो समझो अपराध हुआ है ।
8 वैष्णव अपराध को वैष्णव से क्षमा कराना होता है ।बाकी के तीनो नाम लेने से दूर हो जाते हैं
9 पाप के लिए जेसे नरक हैं ऐसे अपराध के लिए कोई नर्क नही है
10 न ही कोई शारिरिक कष्ट होता है । क्योंकि अपराध का शरीर से कोई लेना देना नही
11 अपराध का सम्बन्ध भजन से है । भजन में असंतोष ही इसका फल है
12 या यों समझिये की प्रोसेस डिले होगा । जो काम 1 साल में होना ह वो 10 साल में होगा ।

अतः पाप और अपराध का अंतर समझे रहिये । बचिए । और डिले होने से बचाइये

🐚 ॥ जय श्री राधे 🐚
🐚 ॥ जय निताई   🐚


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