✅ मानवता एवं भक्ति ✅
▶ मानव की सेवा । मानव के दुख-दर्द का निवारण । समाज की सेवा । दैनिक सुविधा एवं असुविधा का निस्तारण आदि अच्छी बातें हैं ।
▶ इनका कोई विरोध नहीं । लेकिन हमें यह ध्यान रखना होगा कि हम कौन हैं हमारा स्वरूप क्या है विशेषकर हम जहाँ हैं वहां का वातावरण क्या है ।
▶ सत्संग कथा कीर्तन के आयोजन की बात है तो यह वैष्णवता भजन सत्संग दर्शन भजन की वृद्धि के लिए है
▶ इसका यह अर्थ बिलकुल नहीं कि हम मानवता या परोपकार के विरोधी हैं लेकिन हमें यह ध्यान रखना है कि हम यहां भजन भक्ति के लिए हैं
▶ ठीक वैसे जैसे एक डॉक्टर । डॉक्टर क्लीनिक खोल कर वहां पर गरीबों को कपड़े बांटने लग जाए या तलाक शुदा लोगों को सलाह देने लग जाए या वह किसी और प्रकार की मानवता की सेवा करने लग जाए तो वह अपने डॉक्टरी के मुख्य कार्य से भटक गया ।
▶ यह सब तो वहां बिना डॉक्टर बने कर सकता था फिर उसके डॉक्टर बनने का क्या लाभ रहा । एक डॉक्टर को डॉक्टरी में ही सेवा करके मानव की सेवा करनी चाहिए
▶ इसी प्रकार एक वैष्णव द्वारा भजन का प्रचार कर के भक्ति के विषय में चर्चा करके मानव की सेवा ही होती है ।
▶ क्योंकि हम यहां भक्ति और भजन के लिए हैं इसीलिए अपने उद्देश्य पर केंद्रित रहते हुए हमें भजन भक्ति की ही बात वहां करनी चाहिए ।
▶ पानी बचाने के लिए या गर्मी का तापमान की सूचना देने के लिए या अन्य लोगों के दुख हरण करने के लिए और बहुत से आयोजन है जिनमें आप और हम सब जुड़े हुए हैं ।
▶ ऐसी सूचनाएं वहां देनी चाहिए । यहां नहीं देने का अर्थ यह नहीं लगाना चाहिए कि यह आयोजन मानवता या परोपकार का विरोधी है । अपितु हम अपने उद्देश्य पर केंद्रित है ।
🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई ॥ 🐚
🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn
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