✅ भक्ति ३ प्रकार की ✅
१. आरोप सिद्धा
▶ भक्ति करने में सहायक,
▶ जैसे बिहारी जी मंदिर वाली गली में जाना
▶ दर्शन में सहायक है, और यदि गली में ही घूमते रहो
▶ तो यह शुद्ध भक्ति नहीं है. जैसे स्वधर्म-आचरण.
२. संग सिद्धा
▶ जैसे एक भक्त ठाकुर के लिए प्रसाद बना रहा है
▶ उसका साथ देना-सहयोग करना. कोई अकेला वृन्दाबन
▶ जाने में कतरा रहा है,उसके साथ जाना.
३. स्वरुप सिद्धा
▶ जो खुद अपने आप में भक्ति हो,
▶ जैसे नाम-संकीर्तन, श्रवन, स्मरण, गुण-लीला कीर्तन
▶ आदि भक्ति के ६४ अंग.
JAI SHRI RADHE
DASABHAS Dr GIRIRAJ nangia
Lives, Born, Works = L B W at Vrindaban
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