Monday 19 September 2011

66. MAYKE JAA REE BEGUM


कभी तो मायके जा री बेगम,
पायें सुख की राह री बेगम, कभी तो............
संग-संग रह-रह अक गए हं हम
सांगत से तेरी थक गए हैं हम
तिन्दों की तरह पाक गए हैं हम
भर भी नक्कों नक् गए हैं हम
अब दिल मैं ठण्ड ला री बेगम , कभी तो मायके ...........
और भी छंद हैं फिर पेश करूँगा
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