जोगी जुरें जुग-जुग फिरैं, और ज्ञानी गहे गति ज्ञान सुखारी |
कहू कर्मी कर्म कमाई करैं, अरु त्यागी तुले तजि सम्पति ताती ||
विषयी विषयन हित बिक विचरइ, निज-निज धुन नाचै नर अरु नारी |
यै ललिताविहारिणी क्यों कर जानै किन पे कैसी है रीझ तिहारी ||
हाय ! जीवन पूरों नीत चल्यौ, जड़ झूठे जगत झमेलों मैं |
मनमोहन मुख -मकरंद त्यागि मन योतो मयिक मेलों मैं ||
अब वृद्दा मैं पछतानो क्या ? जब जीवन खोयो खेलों मैं |
'श्यामदास' यह नरतन हीरा, हाथो से गयों अधेलों मैं ||
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JAI SHRI RADHE
DASABHAS Dr GIRIRAJ nangia
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