Sunday, 25 September 2011

80. shraddh kise khilaayen ??????


✅   श्राद्ध किसे खिलाएं ✅  

▶ जो सद्गृहस्थ शरीर छोड़ते हैं

▶ वे पितृलोक में सूक्ष्म शरीर से रहते हैं |
▶ पितृलोक का एक दिन
▶ प्रथ्वीलोक के एक वर्ष के बराबर होता है
▶ वर्ष में एक दिन होने वाला श्राद्द्य
▶ वहाँ प्रतिदिन प्राप्त होता है |

▶ अग्नि देव -
▶ देवताओं  व  भगबान की कोरियर - सेवा करते हैं |
▶ जिस देवता के मंत्र से हवन होगा वह
▶ वह उस देवता के  पहुंचाना अग्निदेव की ड्यूटी है |
▶ गोपाल मंत्र से अग्नि में हवन करो तो
▶ श्री गोपाल के पास वह घृत समिधा पहुँचा देते है  

▶ पितृ  क्योंकि देवताओं से  कनिष्ठ हैं
▶ और अग्नि देवता  है, इसलियेपितृलोक में कोरियर का
▶ काम 'अग्निदेव 'की अंश रूपा -
▶ मानव के शरीर में स्थित 'जठराग्नि' करती  है
▶ इसलिये हम श्राद्द्य का अन्न किसी श्रेष्ठ
▶ ब्राह्मन को खिलते हैं, उसकी पेट की  'जठराग्नि'
▶ वह अन्न - भोजन हमारे पितरों तक पहुंचा देती है |

▶ ब्राह्मन या शुद्र या क्षत्रिय या वैश्य
▶ एक तो जन्म से होते है - एक कर्म से
▶ जन्म से ब्राह्मन हो और उसके कर्म शुद्र जैसे हों तो
▶ उससे बेहतर  है एक शुद्र - जिसके कर्म कार्य ब्राह्मन जैसे हों | 

▶ श्रेष्ठ कर्म वाले, सदाचारी, सात्विक भगवतभक्त - जिसका
▶ कहीं न कहीं सत्य, अद्द्यात्म, ईश्वर से कोई सम्वन्ध हो
▶ उसे श्राद्द्य अन्न खिलाया जाता है |

▶ महाप्रभु श्री चैतन्य ने अपने पिता का श्राद्द्य
▶ यवन जाति के नामनिष्ठ नामाचार्य श्री हरिदास को खिलाया था |

▶ लेकिन, न तो ब्राह्मन, न धर्म, न सदाचार भजन, भगवान से
▶ जिसका वास्ता है - जैसे कोढ़ी, गरीब, फूटपाथ वाले
▶ को भोजन देने से वह - गरीब भोजन है श्राद्द्य नहीं |

▶ उसकी जठराग्नि की ब्पहुंच नहीं की वह इस अन्न भोजन को
▶ हमारे पितरों तक पहुंचा सके |
▶ वो ब्राह्मन नहीं है न,जन्म से, न कर्म से |

▶ एक ब्राह्मन यदि कर्म से ब्राह्मन नहीं हैं तो
▶ जन्म से तो है ही - वह इनसे श्रेष्ठ पात्र है - शायद सर्वश्रेष्ठ नहीं |

▶ सर्वश्रेष्ठ वही है - जो जन्म एवं कर्म दोनों से ब्रह्मण  हो,
▶ मध्यम वह है जो किसी एक से श्रेष्ठ हो |
▶ जो न जन्म से, न कर्म से वह अधम है वह श्राद्द्य का पात्र ही नहीं है |
▶ यह सब अति सूक्ष्म सिस्टम है -
▶ समझ आए  न आये काम करता है

▶ जैसे मोबाइल में  एक नंबर दबाने से यु. एस. में भाई से
▶ दूसरा नंबर दबाने से दिल्ली कोई और नंबर दबाने से
▶ अपने ही घर में दूसरे कमरे में अपनी पत्नी शालिनी से बात हो जाती है
▶ बात होती है, सिस्टम काम करता है,
▶ हमें समझ आये न आये |
▶ अवश्य कुछ लोग हैं जिन्हें सिस्टम भी समझ आता है |

▶ तुम सिस्टम फोलो करो सिस्टम समझ में
▶ आ जाये तो ठीक न आये तो ठीक | बात तो हो ही जायेंगी |

▶ और उलटे सीधे मनमाने ढंग से बटन दबाओगे -
▶ तो बात नहीं होगी श्राद्द्य नहीं होगा - श्राद्द्य नहीं होगा |

🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई  ॥ 🐚

DASABHAS Dr GIRIRAJ nangia
Lives, Born, Works = L B W at Vrindaban

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