भक्ति
बहुत ही सीधा-सादा सा एक शब्द,
सब् किसी कि ज़ुबान् पर
एक शब्द,
लेकिन ज़ुबान् से दिल तक
कितने लोग के गया
जिसकी भक्ति
उसकी सेवा , उसका SUKH
उसका हित
भक्ति : देश की
भक्ति : पिता की
भक्ति : माता की
भक्ति : पति की, पत्नी की,
भक्ति : किसी की, गुरु की,
देश, पिता, माता, पति, गुरु, कोइ,
मन , धन , तन ,
चाहते हैं ,
सबमे कामना है
वासना है, क्रोध् है, लोभ है,
मोह है,
किसी- किसी मे तो अविचार भी है,
कुविचार भी है
व्यभिचार भी है,
लेकिन
केवल भगवान
ऐसे हैं, जो केवल मन चाहते है, प्रेम चाहते है
न धन, न तन,
न लोभ है, न मोह है, न मद है, न मोह है,
न कुविचार है, न व्यभिचार है,
धन, तुम यदि चाहो तो तुम्हे और दे देते है
और तुम ?
अतः भक्ति
वही, जो भगवान् से,
प्रेम वही जो भगवान् से,
किसी और से है तो वह भक्ति नहिन्,
क्या है ? ये तुम जानो, मै क्या जानू !!!!!!
जय श्री राधे !
DASABHAS Dr GIRIRAJ nangia
Tele : 9219 46 46 46 : 12noon - ६
made to serve ; GOD thru Family n HUMANITY
facebook - shriharinam
No comments:
Post a Comment