Monday 12 September 2011

54. B H A K T I


भक्ति

बहुत ही  सीधा-सादा  सा एक शब्द,
सब् किसी कि ज़ुबान् पर
एक शब्द,
लेकिन ज़ुबान् से दिल तक 
कितने लोग के गया 

जिसकी भक्ति 
उसकी सेवा , उसका SUKH
उसका हित 

भक्ति : देश की
भक्ति : पिता की
भक्ति : माता की
भक्ति : पति की, पत्नी की,
भक्ति : किसी की, गुरु की,

देश, पिता, माता, पति, गुरु,  कोइ, 
मन , धन , तन ,
चाहते हैं ,
सबमे कामना है
वासना है, क्रोध् है, लोभ है,
मोह है, 

किसी- किसी मे तो अविचार भी है,
कुविचार भी है 
व्यभिचार भी है,

लेकिन 
केवल भगवान 
ऐसे हैं, जो केवल मन चाहते  है, प्रेम चाहते है 
न धन, न तन, 
न लोभ है, न मोह है, न मद है, न मोह है,
न कुविचार है, न व्यभिचार है,

 धन, तुम यदि चाहो तो तुम्हे और दे देते है 
और तुम ?

अतः भक्ति 
वही, जो भगवान् से,
प्रेम वही जो भगवान् से, 
किसी और से है तो वह भक्ति नहिन्, 
क्या है ? ये तुम जानो, मै क्या जानू !!!!!!

जय श्री राधे !

DASABHAS Dr GIRIRAJ nangia
Tele : 9219 46 46 46 : 12noon - ६

made to serve ; GOD  thru  Family  n  HUMANITY 


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