नहीं प्रेम पवित्र मिला है मुझे
जीवन को यूँ ही भटकाता रहा |
गाने थे प्रीती के गीत तेरे
इस दुनियां के गीत मैं गाता रहा |
कब प्रेम का रोग लगेगा मुझे ?
दुनियां मुझे भटकाती है क्यों |
मै भटक भटक बहु भटक चुका
'गिरि' याद तुम्हारी आती न क्यों |
JAI SHRI RADHE
DASABHAS Dr GIRIRAJ nangia
made to serve ; GOD thru Family n Humanity
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