Monday, 19 September 2011

69. harinam ko hi bas..............


नहीं चित्र लखा, न चरित्र लिखा,
 बस नाम को ही सब मानता हूँ मैं 
नामी अरु नाम अभिन्न सदा , 
बस नाम को ही पहचानता हूँ मैं 
हरिनाम लिखूँ, हरिनाम पढू, 
हरिनाम को ही बस चाहता  हूँ  मैं 
हरिनाम से बड़कर ओर किसी, 
साधन को 'गिरि' नहीं मानता हूँ मैं  

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JAI SHRI RADHE

DASABHAS Dr GIRIRAJ nangia
made to serve ; GOD  thru  Family  n  Humanity
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