नहीं चित्र लखा, न चरित्र लिखा,
बस नाम को ही सब मानता हूँ मैं
नामी अरु नाम अभिन्न सदा ,
बस नाम को ही पहचानता हूँ मैं
हरिनाम लिखूँ, हरिनाम पढू,
हरिनाम को ही बस चाहता हूँ मैं
हरिनाम से बड़कर ओर किसी,
साधन को 'गिरि' नहीं मानता हूँ मैं
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JAI SHRI RADHE
DASABHAS Dr GIRIRAJ nangia
made to serve ; GOD thru Family n Humanity
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