Thursday, 15 September 2011

58. shraadhh v/s sabme bhagvaan


जिस शास्त्र , जिस ग्रन्थ्, जिस पुरान्न  मे 

श्राद्ध  करने का आदेश है,
वहा कैसे करे - यह भी लिखा है
करो तो वैसे करो, थीक से करो,
मुर्गी को आधा-आधा कात   कर 
दो भाइयोन मे बत्वारा मत करो !

सत्य है सभी मे उस भगवान का ही अश है, 
यदि येः विश्वास् आपको पक्का हो गया है तो
आप संत, संन्यासी ब्रःम्ग्यानि है 
और संत, संयासि, ब्रःम्ग्यानि को श्राद्ध
करने की ज़रूरत् ही नहि है

यदि सब् मै भग्वान् दीख्ता है तो
क्यो झगद्ते हो
अपने भाइ से ?
पिता से, पत्नी से, इससे, उससे, ?
क्या इन्मे भगवान नहि है ?

ज़ाहिर् है कहि की बात को कहि
लगाते हो ! चुत्की भर ज्ञान से मन्मर्ज़ी चलाते हो !

जब् पिता जीते थे, उन्मे कितने दिन 
भगवान dikhaai दिये ?
भगवान तो दूर शायद इन्सान भी नहि दीखा

आज भी मारते हो shortcut 
और कहते हो सबमे भगवान है ?
करो तो धन्ग से करो 
वर्णा तो बिना श्राद्ध  के भी दुनिय चलती थी

चलती है और चलती रहेगी , चलती रहेगी




DASABHAS Dr GIRIRAJ 
Tele : 9219 46 46 46 : 12noon - 6
made to serve ; GOD  thru  Family  n  Humanity
JAI SHRI RADHE

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