अलबेली स्वामिनी राधा, अब वेग हरहु मम बाधा
तुम निजपन काहे बिसारो, मम अवगुण मन न विचारो
अब बिगड़ी वेग सम्भारो,तुम बहुतन के कृत साधा
हम दीन दुखी जन सारे, मिलि आए तुम्हरे द्वारे
तुम सब के कष्ट निवारे ,जिनने तुम को आराधा
कीर्ति वृश्भानु दुलारी,हम आए शरण तिहारी
अब राखो लाज हमारी, करुणामय गुणन अगाधा
हम 'श्याम' से कुछ न कहेंगे, अब आपकी शरण गहेंगे
पद पंकज धुरि लहेंगे, सब छोड के जग मर्यादा
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