तुम नटवर कृष्ण मुरारे हो
तड़पत हैं प्राण तुम्हारे बिना
तुम जीवन- प्राण हमारे हो
इस डूबती जीवन नैया के
तुम ही 'गिरि' एक किनारे हो
इस दीन पै इतनी दया कीजै
निशिवासर नाम पु कारे हो
तुम दीनन के प्रतिपाल सदा
तुम भक्तन के रखबारे हो
तुम नटवर कृष्ण मुरारे हो
अब छोड़ दिया इस जीवन का
सब भा र तुम्हारे हाथों मे
नित कृष्ण जपू नित सेवा करू
अब क्या रक्खा सब बातों मैं
बातों मे जीवन बीत गया
वर्षो गये हाथ ही हाथों मैं
सुब शाम जपू, दिन रात जपूं
'गिरि' जाग जपूं मैं रातों मैं
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