Tuesday, 27 September 2011
Monday, 26 September 2011
84. आप बहुत अच्छे हैं
▶ आप निश्चित ही एक अच्छे व्यक्ति हैं
▶ दिन में एकबार अवश्य अपने
▶ इस अच्छे व्यक्ति से बात करें
▶ और पूछे कि आज इस अच्छे व्यक्ति ने
▶ क्या क्या अच्छे या बुरे काम किये ?????
🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई ॥ 🐚
JAI SHRI RADHE
83. वृन्दाबन के राजा
✅ वृन्दाबन के राजा ✅
▶ वृन्दाबन के राजा दोनों श्याम-राधिका रानी
▶ चार पदारथ करें मजदूरी, मुक्ति भरे यहाँ पानी
▶ कर्म, धर्म यहाँ रस्सी बटते, भाग गए बहम ज्ञानी
▶ योगी, यति, तपी, संन्यासी, महिमा किसने जानी
▶ वेद, पुराण हार गए सब यहाँ गायें सगुन गुण वाणी
▶ घर-घर प्रेम-भक्ति की महिमा, सहचरी 'व्यास' बखानी
▶ श्रीहरिरामजी व्यास जी का पद-थोड़े सरल शब्दों में
🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई ॥ 🐚
82. 7 dham, 14 lok n pitr lok
✅ 7 धाम 14 लोक और पितृ लोक ✅
▶ ७ नित्य धाम हैं
▶ १. वृन्दाबन (सबसे ऊपर)पूर्णतम
▶ २. मथुरा (पूर्णतर)
▶ ३. द्वारका (पूर्ण)
▶ ४. अयोध्या
▶ ५. वैकुण्ठ
▶ ६. सिद्ध लोक
▶ ७. विरजा : कारण समुद्र
▶ १४ लोक
▶ १. सत्य
▶ २. तप
▶ ३. जन
▶ ४. मह
▶ ५. स्वर्ग
▶ ६. भुवः
▶ यहाँ पर अंतरिक्ष में एक पितृ लोक भी है, जहाँ सज्जन पितृ रहते हैं
▶ ७. भू (पृथ्वी)
▶ ८. अतल
▶ ९. वितल
▶ १०. सुतल
▶ ११. तलातल
▶ १२. महातल
▶ १३. रसातल
▶ १४. पाताल
▶ इसके नीचे जल में ३ स्थान हैं १. यमराज का महल, २.नरक, ३. पितृ लोक-यहा सामान्य पितृ रहते हैं
🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई ॥ 🐚
▶ ७ नित्य धाम हैं
▶ १. वृन्दाबन (सबसे ऊपर)पूर्णतम
▶ २. मथुरा (पूर्णतर)
▶ ३. द्वारका (पूर्ण)
▶ ४. अयोध्या
▶ ५. वैकुण्ठ
▶ ६. सिद्ध लोक
▶ ७. विरजा : कारण समुद्र
▶ १४ लोक
▶ १. सत्य
▶ २. तप
▶ ३. जन
▶ ४. मह
▶ ५. स्वर्ग
▶ ६. भुवः
▶ यहाँ पर अंतरिक्ष में एक पितृ लोक भी है, जहाँ सज्जन पितृ रहते हैं
▶ ७. भू (पृथ्वी)
▶ ८. अतल
▶ ९. वितल
▶ १०. सुतल
▶ ११. तलातल
▶ १२. महातल
▶ १३. रसातल
▶ १४. पाताल
▶ इसके नीचे जल में ३ स्थान हैं १. यमराज का महल, २.नरक, ३. पितृ लोक-यहा सामान्य पितृ रहते हैं
🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई ॥ 🐚
DASABHAS Dr GIRIRAJ nangia
Lives, Born, Works = L B W at Vrindaban
Sunday, 25 September 2011
81. BALDAU JI KI ARATI
दाऊ जी की आरती
बलदाऊ की आरती कीजै
कृष्ण कन्हैया को दादा भैया, अति प्रिय जाकी रोहिणी मैया
श्री वसुदेव पिता सौं जीजै...... बलदाऊ
नन्द को प्राण, यशोदा प्यारौ , तीन लोक सेवा में न्यारौ
कृष्ण सेवा में तन मन भीजै .....बलदाऊ
हलधर भैया, कृष्ण कन्हैया, दुष्टन के तुम नाश करैया
रेवती, वारुनी ब्याह रचीजे ....बलदाऊ
दाउदयाल बिरज के राजा, भंग पिए नित खाए खाजा
नील वस्त्र नित ही धर लीजे,......बलदाऊ
जो कोई बल की आरती गावे, निश्चित कृष्ण चरण राज पावे
बुद्धि, भक्ति 'गिरि' नित-नित लीजे .....बलदाऊ
JAI SHRI RADHE
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80. shraddh kise khilaayen ??????
✅ श्राद्ध किसे खिलाएं ✅
▶ जो सद्गृहस्थ शरीर छोड़ते हैं
▶ वे पितृलोक में सूक्ष्म शरीर से रहते हैं |
▶ पितृलोक का एक दिन
▶ प्रथ्वीलोक के एक वर्ष के बराबर होता है
▶ वर्ष में एक दिन होने वाला श्राद्द्य
▶ वहाँ प्रतिदिन प्राप्त होता है |
▶ अग्नि देव -
▶ देवताओं व भगबान की कोरियर - सेवा करते हैं |
▶ जिस देवता के मंत्र से हवन होगा वह
▶ वह उस देवता के पहुंचाना अग्निदेव की ड्यूटी है |
▶ गोपाल मंत्र से अग्नि में हवन करो तो
▶ श्री गोपाल के पास वह घृत समिधा पहुँचा देते है
▶ पितृ क्योंकि देवताओं से कनिष्ठ हैं
▶ और अग्नि देवता है, इसलियेपितृलोक में कोरियर का
▶ काम 'अग्निदेव 'की अंश रूपा -
▶ मानव के शरीर में स्थित 'जठराग्नि' करती है
▶ इसलिये हम श्राद्द्य का अन्न किसी श्रेष्ठ
▶ ब्राह्मन को खिलते हैं, उसकी पेट की 'जठराग्नि'
▶ वह अन्न - भोजन हमारे पितरों तक पहुंचा देती है |
▶ ब्राह्मन या शुद्र या क्षत्रिय या वैश्य
▶ एक तो जन्म से होते है - एक कर्म से
▶ जन्म से ब्राह्मन हो और उसके कर्म शुद्र जैसे हों तो
▶ उससे बेहतर है एक शुद्र - जिसके कर्म कार्य ब्राह्मन जैसे हों |
▶ श्रेष्ठ कर्म वाले, सदाचारी, सात्विक भगवतभक्त - जिसका
▶ कहीं न कहीं सत्य, अद्द्यात्म, ईश्वर से कोई सम्वन्ध हो
▶ उसे श्राद्द्य अन्न खिलाया जाता है |
▶ महाप्रभु श्री चैतन्य ने अपने पिता का श्राद्द्य
▶ यवन जाति के नामनिष्ठ नामाचार्य श्री हरिदास को खिलाया था |
▶ लेकिन, न तो ब्राह्मन, न धर्म, न सदाचार भजन, भगवान से
▶ जिसका वास्ता है - जैसे कोढ़ी, गरीब, फूटपाथ वाले
▶ को भोजन देने से वह - गरीब भोजन है श्राद्द्य नहीं |
▶ उसकी जठराग्नि की ब्पहुंच नहीं की वह इस अन्न भोजन को
▶ हमारे पितरों तक पहुंचा सके |
▶ वो ब्राह्मन नहीं है न,जन्म से, न कर्म से |
▶ एक ब्राह्मन यदि कर्म से ब्राह्मन नहीं हैं तो
▶ जन्म से तो है ही - वह इनसे श्रेष्ठ पात्र है - शायद सर्वश्रेष्ठ नहीं |
▶ सर्वश्रेष्ठ वही है - जो जन्म एवं कर्म दोनों से ब्रह्मण हो,
▶ मध्यम वह है जो किसी एक से श्रेष्ठ हो |
▶ जो न जन्म से, न कर्म से वह अधम है वह श्राद्द्य का पात्र ही नहीं है |
▶ यह सब अति सूक्ष्म सिस्टम है -
▶ समझ आए न आये काम करता है
▶ जैसे मोबाइल में एक नंबर दबाने से यु. एस. में भाई से
▶ दूसरा नंबर दबाने से दिल्ली कोई और नंबर दबाने से
▶ अपने ही घर में दूसरे कमरे में अपनी पत्नी शालिनी से बात हो जाती है
▶ बात होती है, सिस्टम काम करता है,
▶ हमें समझ आये न आये |
▶ अवश्य कुछ लोग हैं जिन्हें सिस्टम भी समझ आता है |
▶ तुम सिस्टम फोलो करो सिस्टम समझ में
▶ आ जाये तो ठीक न आये तो ठीक | बात तो हो ही जायेंगी |
▶ और उलटे सीधे मनमाने ढंग से बटन दबाओगे -
▶ तो बात नहीं होगी श्राद्द्य नहीं होगा - श्राद्द्य नहीं होगा |
🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई ॥ 🐚
DASABHAS Dr GIRIRAJ nangia
Friday, 23 September 2011
79. DO BHAI
✅ दो भाई ✅
▶ दो भाइयों में जब झगड़ा होता है
▶ तब एक दिन
▶ बिजली का कनेक्शन
▶ पानी का कनेक्शन
▶ किचन, टंकी
▶ आने-जाने का रास्ता
▶ आय का साधन
▶ मकान का पोर्शन
▶ अलग-अलग हो जाता है
▶ और यदि पहले से ही
▶ ये सब अलग हो या धीरे-धीरे
▶ अलग करते जाय तो झगड़ा नहीं होता है
▶ वैसे आजकल दो भाई
▶ होते ही कितने घरो में है ??????
🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई ॥ 🐚
▶ दो भाइयों में जब झगड़ा होता है
▶ तब एक दिन
▶ बिजली का कनेक्शन
▶ पानी का कनेक्शन
▶ किचन, टंकी
▶ आने-जाने का रास्ता
▶ आय का साधन
▶ मकान का पोर्शन
▶ अलग-अलग हो जाता है
▶ और यदि पहले से ही
▶ ये सब अलग हो या धीरे-धीरे
▶ अलग करते जाय तो झगड़ा नहीं होता है
▶ वैसे आजकल दो भाई
▶ होते ही कितने घरो में है ??????
🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई ॥ 🐚
78. BARSAANAA
बरसाना
आप कहाँ विराजते हं महाराज ?
श्री गोस्वामी बालक जी ने लिखा-
'हम उस बरसाने से हैं
जहां की किशोरी जू के
आपके ठाकुर चरण दबाते हैं.'
शिव भी जिसकी रासलीला के दर्शन हेतु
गोपी वेश धराते हैं, 'गोपेश्वर' कहलाते हैं
में धन्य हुया,
जय जय
जय श्री राधे, हमारी प्यारी राधे
Thursday, 22 September 2011
77. LOGON SE KAM YAA JYAADAA ?
आपके पास यदि कुछ लोगों से
कम है तो कुछ लोगों
से अधिक भी है
विश्वास मानिए !
आपके पास कितना भी अधिक
हो जाय फिर भी कुछ लोगों से कम तो रहेगा ही
या कुछ लोगों के पास आपसे
अधिक तो रहेगा ही,
अंतर क्या हुआ
स्तिथि आज भी वही है !!!!!!!!!!!
JAI SHRI राधे
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76. KALI ME 5 NHI
कलियुग में 5 नहीं-
1. अश्वमेध यज्ञ
2. गो मेध यज्ञ
3. मांस से श्राद्ध
4. देवर से सुत उत्पत्ति
5. संन्यास
JAI SHRI RADHE
75. PADHI - LIKHI
अभी एक सज्जन मेरे पास आये
साथ में एक बच्ची भी थी, बोले -
नांगिया ! देखो, ये लडकी हाईस्कूल फ़ैल है,और
अपने आप को 'पढ़ी-लिखी' बताती है ?????
मैंने कहा - कि निर्भर करता है कि यह
किस परिवेश, परिवार, विचार से है-
यदि यह पढ़े-लिखे परिवार से है तो
यह अनपढ़ ही है, और यदि
यह किसी अनपढ़ मजदूर परिवार से है तो,
निश्चित ही यह बहुत पढ़ी-लिखी है
हाईस्कूल फेल होने पर भी पढ़ी-लिखी है !!!!!
इसी प्रकार विचार और सोच का भी स्तर होता है
परिस्थिति होती है.
JAI SHRI RADHE
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Tuesday, 20 September 2011
74. BHAGVAAN SABME
जैसे पी-एच डी करने के लिए,
पहले
HIGHSCHOOL
INTER
B. A.
M. A.
करना ज़रूरी होता है,
उसी प्रकार 'भगवान सब में है' -यहाँ तक पहुँचने के लिए
इस वाक्य को, वाक्य से ऊपर उठाने के लिए
अपने जीवन में घटाने के लिए,
वास्तव में इसका अहसास, अनुभव पाने के लिए-
HIGHSCHOOL, INTER, B.A. M. A. की भांति
सिस्टम को फौलो करना पडेगा.
'आदौ श्रद्धा'
वाले क्रम को पकड़ना होगा, गुरु-मंत्र लेना होगा
भक्ति के ६४ अंगो का पालन करना होगा
परीक्षाएं देनी होंगी
संत, सद्गुरु कृपा से प्राप्त 'notes' को याद करके पास होना होगा
तब कहीं जाकर इस वाक्य को समझ भी पाओगे
'सबमे भगवान हैं'-
यह केवल कहोगे नहीं,
देखोगे,और लोगों को दिखाओगे,
भगवान को रिझाओगे,
जियोगे, जिलाओगे, राग-द्वेष से ऊपर उठ जाओगे
वरना तो खाली कहना है,
राग-द्वेष तो हमारा फ़र्ज़ है, कहने में क्या हर्ज़ है.
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Monday, 19 September 2011
73. GURU SHASTRA KRIPAA
गुरु शास्त्र कृपा बरसी मोपे,
गुरु शास्त्र की बात में मानी न मानी |
जामे प्रीत की रीत कौ गीत कह्यो
भवसागर ते निकसै कस प्राणी ||
इन ग्रंथन की कहो कहा कहिये
महिमा इनकी सब संत बखानी |
पितु मातु कृपा ऐसी किन्हीं
भवसागर तर गयौ 'गिरि' सम प्राणी ||
72. SANTAN KI MAHIMAA
संतन की महिमा क्या कहिये
'गिरि' शास्त्र अरु ग्रन्थ बखान बखानीl
संतन की सेवा करत करत
दासी-सुत बन गयौ नारद ज्ञानीll
माता कयाधु ने सुत जन्म्यों
हिर्नाकशिपू पितु दुष्ट अज्ञानीl
नारद वचन सुनत मानत
प्रगट्यों प्रहलाद सो उत् तम ज्ञानी ll
जय श्री राधे
DASABHAS Dr GIRIRAJ nangia
71. PAVITRA PREM
नहीं प्रेम पवित्र मिला है मुझे
जीवन को यूँ ही भटकाता रहा |
गाने थे प्रीती के गीत तेरे
इस दुनियां के गीत मैं गाता रहा |
कब प्रेम का रोग लगेगा मुझे ?
दुनियां मुझे भटकाती है क्यों |
मै भटक भटक बहु भटक चुका
'गिरि' याद तुम्हारी आती न क्यों |
JAI SHRI RADHE
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70. natwar krishn murare
तुम नटवर कृष्ण मुरारे हो
तड़पत हैं प्राण तुम्हारे बिना
तुम जीवन- प्राण हमारे हो
इस डूबती जीवन नैया के
तुम ही 'गिरि' एक किनारे हो
इस दीन पै इतनी दया कीजै
निशिवासर नाम पु कारे हो
तुम दीनन के प्रतिपाल सदा
तुम भक्तन के रखबारे हो
तुम नटवर कृष्ण मुरारे हो
अब छोड़ दिया इस जीवन का
सब भा र तुम्हारे हाथों मे
नित कृष्ण जपू नित सेवा करू
अब क्या रक्खा सब बातों मैं
बातों मे जीवन बीत गया
वर्षो गये हाथ ही हाथों मैं
सुब शाम जपू, दिन रात जपूं
'गिरि' जाग जपूं मैं रातों मैं
69. harinam ko hi bas..............
नहीं चित्र लखा, न चरित्र लिखा,
बस नाम को ही सब मानता हूँ मैं
नामी अरु नाम अभिन्न सदा ,
बस नाम को ही पहचानता हूँ मैं
हरिनाम लिखूँ, हरिनाम पढू,
हरिनाम को ही बस चाहता हूँ मैं
हरिनाम से बड़कर ओर किसी,
साधन को 'गिरि' नहीं मानता हूँ मैं
--
JAI SHRI RADHE
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68. NARTAN HEERAA
जोगी जुरें जुग-जुग फिरैं, और ज्ञानी गहे गति ज्ञान सुखारी |
कहू कर्मी कर्म कमाई करैं, अरु त्यागी तुले तजि सम्पति ताती ||
विषयी विषयन हित बिक विचरइ, निज-निज धुन नाचै नर अरु नारी |
यै ललिताविहारिणी क्यों कर जानै किन पे कैसी है रीझ तिहारी ||
हाय ! जीवन पूरों नीत चल्यौ, जड़ झूठे जगत झमेलों मैं |
मनमोहन मुख -मकरंद त्यागि मन योतो मयिक मेलों मैं ||
अब वृद्दा मैं पछतानो क्या ? जब जीवन खोयो खेलों मैं |
'श्यामदास' यह नरतन हीरा, हाथो से गयों अधेलों मैं ||
--
JAI SHRI RADHE
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67. PRABHU KI PLANNING
क्यों व्यर्थ चिंता करते हो ?
प्रभु आपसे बहुत अधिक सक्षम हैं
उन्होंने आपके लिए
जो प्लानिंग की है ,
वह आपकी प्लानिंग से
निश्चित ही बेहतर होगी नहीं, है.
अतः मस्त रहो,
व्यस्त रहो,
अस्तव्यस्त क्यों होते हो ?
जय श्री राधे
66. MAYKE JAA REE BEGUM
कभी तो मायके जा री बेगम,
पायें सुख की राह री बेगम, कभी तो............
संग-संग रह-रह अक गए हं हम
सांगत से तेरी थक गए हैं हम
तिन्दों की तरह पाक गए हैं हम
भर भी नक्कों नक् गए हैं हम
अब दिल मैं ठण्ड ला री बेगम , कभी तो मायके ...........
और भी छंद हैं फिर पेश करूँगा
ON DEMAND
65. AADHAA YAA DOUBLE
किसी भी बात या विचार को
हमलोग आधा सुनते हैं
चौथाई समझते हैं
और डबल करके
दूसरों सुनाते है.
आत्मनिरीक्षण कीजिये :
कितना लागू है आप पर ??????????
64. CHIDIYAA AUR AAG
एक जंगल में आग लगी,
सबके साथ, साथ एक चिड़िया भी
अपनी चोंच में पानी ला ला कर आग में डाल रही थी
हाथी बोला 'तेरी इस एक बूँद से क्या होगा ?
चिड़िया बोली 'ये तो मै भी जानती हूँ, लेकिन जब बात होगी तो
आग बुझाने वालों में मेरा नाम तो आएगा ही l
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Tele : 9219 46 46 46 : 12noon - 6
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63. ULTAA - PULTAA
एक सज्जन आये और बोले -
दासाभास ! ये सब क्या उल्टा पुल्टा है ?
मैंने कहा - क्या ?
बोले -
६ दिन के बालक ने पूतना को कैसे मारा ? बोले
३ माह के बालक कृष्ण ने शकटासुर को कैसे मारा ?
१ साल के बालक कृष्ण ने त्रिनासुर को कैसे मारा ?
३ साल के बालक कृष्ण ने यमलार्जुन को कैसे उखाड़ा ?
६ साल के .... कालिया को कैसे नाथा ?
७ साल के .... गिरिराज को कैसे उठाया ?
ये सब क्या है ?
आपके ये धर्म - ग्रन्थ पब्लिक को पागल बनाते हैं ?
उल्टा सीधा सिखाते है ? असंभव बाते बताते हैं |
मैंने कहा - कृष्ण कोंन ? कैसा कृष्ण ? कहाँ का कृष्ण ?
कैसी पूतना ?, कैसा कालिया
कैसा असुर , कैसा गिरिराज ?
बोले - कमाल करते हो - श्रीमदभागवत में सब लिखा है |
मैंने कहा - लिखा होगा, इसमे क्या,
मैं तो श्रीमदभागवत को न तो जनता हूँ, न मानता हूँ |
बोले - लेकिन सब मानते हैं, मैं तो मानता हूँ |
मैं बोला - क्यों मानते हो ? कहाँ मानते हो ?
मानते होते तो मेरे पास क्यों आते ?
उसमें जो लिखा है,जितना तुम्हारी समझ में आता है, उतना मानते हो
जो समझ में नहीं आता, उसे उल्टा पुल्टा बताते हो |
मानते हो तो पूरा मानो
समझो
समझने की कोशिश करो
समझ नहीं आता तो उल्टी या पुल्टी बुद्धि तुम्हारी है |
न कृष्ण उल्टा है
न उसकी लीला, न कथा, न पूतनावध,
न गिरिराज, न कालिय दमन |
न श्रीमद भागवत
किसी ऐसे संत, सद्गुरु की शरण में जाओ
उसकी सेवा करो, उससे समझने की कोशिश करो
उलटा और पुल्टा को दिमाग से निकाल दो,
उनकी कृपा से सारा उलटा; सीधा हो जाएगा और पुल्टा की पुल्तस
से तम्हारे सारे घाव भर जायेंगे
फिर न उलटा होगा - न पुल्टा !!!!!!!!!!!!!
JAI SHRI RADHE
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Sunday, 18 September 2011
62. morpankh mil gayaa
मेरी मासिक पत्रिका श्री हरिनाम के
एक पाठक का फोन आया,
बोले- में मनमोहन पाठक बोल रहा हूँ
मैंने प्रणाम किया, कहा
आदेश कीजिये,
बोले- में दर्शन के लिए
वृन्दाबाब आना चाहता हु
श्री राधारमण
श्री राधा दामोदर
श्री राधा श्याम सुन्दर
श्री सेवाकुंज आदि मंदिर
एवं कुछ ख़ास सच्चे संतो के
दर्शन करना चाहता हु
और ख़ास कर श्री बिहारी जी के दर्शन के लिए
श्री वृन्दाबन आना चाहता हु
में बोला- आइये!
अच्छा संकल्प है, अच्छा विचार है.
बोले-आप वृन्दाबन में कहाँ रहते हैं ?
मैंने कहा- में वृन्दाबन में कहाँ रहता हूँ,
में तो मन से भटकता रहता हूँ- इधर-उधर, इधर-उधर.
वैसे- बिहारी जी से केवल पांच मिनट की
पैदल दूरी पर मेरा घर है,
घर में ही मेरा दफ्तर है
बोले फिर तो ठीक है
में आपके ही घर आता हूँ,
आप तो बिहारी जी के अति निकट हैं
पांच मिनट में उनसे मिलवा दोगे !
मैंने कहा- आइये!
येह तो मेरा भी सौभाग्य होगा
जो आपके बहाने में भी उनसे मिल आउंगा
चार बातें कर आउंगा,
उनसे थोड़ा भिड़ आउंगा, लड़ आउंगा
कुछ गिला कर आउंगा, कुछ शिकवा सुन आउंगा.
उनसे कहूंगा-
यथा नाम-तथा गुण मनमोहन पाठक को बुलाते हो !
मुझे क्यों भुलाते हो ?
शालू को पटाते हो! उसका फूल खाते हो!
'दिल्ली दूर' बताते हो! बच्ची को रुलाते हो !
'निधि' पर राधाक्रिपा, 'हरिप्रिया' बनाते हो !
'नीतू' करे दिव्या सेवा,
'किकरी-सखी' मेहरा जी को क्यों नहीं बसाते हो?
'मंजू' को जगा दिया, सतीश को भगा दिया
और 'अंजू चौधरी के घर आते-जाते हो !
शालिनी, रागिनी,योगिनी,आभा, गोपिका प्रेम करें
रूपा, किशोरी, नरेश पर किरपा बरसाते हो !
रोहन, मधुर, राजू, रमन, गुलशन,जैसे कितनो का
दिल है इनका नेक दिल उसमे क्यों नहीं समाते हो ?
बोले - नटखट हूँ न!
आता हु, जाता हु, बांसुरी बजाता हु
किसी को रुलाता हु, किसी को हंसाता हु
तभी तो नटवर कहलाता हु गिरिधर कहलाता हु
'बांके' कहलाता हु, 'गिरिराज' से लिखाता हु
बिहारी बन जाता हु, बिहारी हो जाता हूँ.
और सुनो ! सुनो ! सुनो! गज़ब एक हो gayaa
नींद मेरी खुल गयी, स्वप्न मेरा छल गया
हृदय मेरा खिल गया - आज मुझे बिस्तर पर
एक 'मोरपंख' मिल गया
JAI SHRI RADHE
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61. BETAA
जब वो बेटा था
तब अपने माता-पिता
के साथ
रहता था
अब वो
माता-पिता है
अपने बेटे के साथ रहता है
जय श्री राधे
Saturday, 17 September 2011
60. CHAUTHI FAIL ?????
कल एक सज्जन आये
सत्संग हुआ, चर्चा हुयी, आनंद हुआ |
उनके साथ एक बालक भी था |
बोला - अंकल आप ये क्या कर रहे हो ?
मैं बोला - बेटे ! मैं इस ग्रन्थ का
संपादन कर रहा हूँ |
'यानी आप किताब लिख रहे हो ?
मैंने कहा - हाँ,
'तो आप तो बहुत - पढ़े लिखे होओगे ?
मैंने कहा - हाँ,
'बहुत पढ़े लिखे ?
हाँ ! मैं पी.एच.डी. हूँ | डाक्टरेट हूँ |
'तो फिर मुझे २४ का टेबल सुनाइये ?
मैं बगलें झाँकने लगा |
बोला -झूठ ! आप क्लास ४ पास भी नहीं हो
मैं भी लास्ट यीअर २४ का टेबल न
सुनाने पर फेल हो गया था |
आप भी ४ फेल हो
फिर इतनी मोटी किताब कैसे लिख
रहे हो ?
मैं सकपकाया
लेकिन उसका ज्ञान और अनुभव भी
गलत नहीं था - यह उसके ज्ञान का स्तर था
ऐसे ही हमारी बुद्धि का स्तर होता है
जैसा हमें ठीक लगता है -
वह तो ठीक होता ही है, उसके
आगे भी कुछ होता है
बढ़ते रहो, चलते रहो, पढ़ते रहो
ज्ञान अनंत है - सीखते रहो
समझते रहो
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Friday, 16 September 2011
59. taakte rahate !!!
सतोगुन
रजोगुन
तमोगुन
तीनो सदैव ही
सभी मे रहते है
हा ! इनकी मात्रा
कम-अधिक होती रहती है
साथ् ही इन तीनो मे भारी कंप्तिशन भी
रहता है, जिस गुण की मात्रा कम हो जाती है , वह ताक मे रहता है
और मौका मिलते ही हावी होने की
कोशिश कर्ता है और सफ़ल् भी हो जाता है
सतोगुन को मौका दो, लेकिन
रजोगुन और तमोगुन को सिर उत्ते ही कुचल दो
तुम भी ताक मे रहो !!!!!!!!!!!!
Tele : 9219 46 46 46 : 12noon - ६
made to serve ; GOD thru Family n हुमनित्य
Thursday, 15 September 2011
58. shraadhh v/s sabme bhagvaan
जिस शास्त्र , जिस ग्रन्थ्, जिस पुरान्न मे
श्राद्ध करने का आदेश है,
वहा कैसे करे - यह भी लिखा है
करो तो वैसे करो, थीक से करो,
मुर्गी को आधा-आधा कात कर
दो भाइयोन मे बत्वारा मत करो !
सत्य है सभी मे उस भगवान का ही अश है,
यदि येः विश्वास् आपको पक्का हो गया है तो
आप संत, संन्यासी ब्रःम्ग्यानि है
और संत, संयासि, ब्रःम्ग्यानि को श्राद्ध
करने की ज़रूरत् ही नहि है
यदि सब् मै भग्वान् दीख्ता है तो
क्यो झगद्ते हो
अपने भाइ से ?
पिता से, पत्नी से, इससे, उससे, ?
क्या इन्मे भगवान नहि है ?
ज़ाहिर् है कहि की बात को कहि
लगाते हो ! चुत्की भर ज्ञान से मन्मर्ज़ी चलाते हो !
जब् पिता जीते थे, उन्मे कितने दिन
भगवान dikhaai दिये ?
भगवान तो दूर शायद इन्सान भी नहि दीखा
आज भी मारते हो shortcut
और कहते हो सबमे भगवान है ?
करो तो धन्ग से करो
वर्णा तो बिना श्राद्ध के भी दुनिय चलती थी
चलती है और चलती रहेगी , चलती रहेगी
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