✔ *वचन कर्म ओर मन * ✔
🔴श्री राधा रस सुधा निधि के रचनाकार
श्री प्रबोधानंद सरस्वती रचित
श्रीवृन्दाबन महिमामृत की रसमय कथा कहें
🔴 बरज रज की अद्भुत महिमा बखान करें
ये हो गया वचन
🔴 बरज रज को सदा मस्तक पर पोते रहें
🔴 बरज को छोड़कर कहीं न जाएँ
🔴 बरजरज म कभी चप्पल न पहने
ये हो गया कर्म
🔴 हरदय सदा ब्रज की रज रानी की कृपा से
पूरित रहे ।
🔴 आखें डबडबाई रहें सदा
ये हो गया मन । जिसका मन वचन कर्म एक सा वही साधू । वही सन्त । अन्यथा तो
खूब चटपटी वृन्दाबन की कथा कहने वाले
🔵 न तो वृन्दाबन म रहें
🔵 न रज मस्तक पर लगाएं
🔵 और मर्सीडीज़ में चलें
केवल बातें ही बातें । कोरी बातें । न मन म भाव । न आचरण । ऐसे लोगों से श्रवण का उतना असर नही होता जितना मन वचन कर्म वाले साधू क मुख से श्रवण से ।
चिंतन कीजिये
॥ जय श्री राधे ॥
॥ जय निताई ॥
लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn
🔴श्री राधा रस सुधा निधि के रचनाकार
श्री प्रबोधानंद सरस्वती रचित
श्रीवृन्दाबन महिमामृत की रसमय कथा कहें
🔴 बरज रज की अद्भुत महिमा बखान करें
ये हो गया वचन
🔴 बरज रज को सदा मस्तक पर पोते रहें
🔴 बरज को छोड़कर कहीं न जाएँ
🔴 बरजरज म कभी चप्पल न पहने
ये हो गया कर्म
🔴 हरदय सदा ब्रज की रज रानी की कृपा से
पूरित रहे ।
🔴 आखें डबडबाई रहें सदा
ये हो गया मन । जिसका मन वचन कर्म एक सा वही साधू । वही सन्त । अन्यथा तो
खूब चटपटी वृन्दाबन की कथा कहने वाले
🔵 न तो वृन्दाबन म रहें
🔵 न रज मस्तक पर लगाएं
🔵 और मर्सीडीज़ में चलें
केवल बातें ही बातें । कोरी बातें । न मन म भाव । न आचरण । ऐसे लोगों से श्रवण का उतना असर नही होता जितना मन वचन कर्म वाले साधू क मुख से श्रवण से ।
चिंतन कीजिये
॥ जय श्री राधे ॥
॥ जय निताई ॥
लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn
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