Saturday 10 September 2016

गज़ब का अनुपम उपहार

✔  *गज़ब का अनुपम उपहार*    ✔

▶ हम कलयुग के जीव न तो शुद्धि अशुद्धि का ज्ञान रखते हैं न विचार रखते हैं । और ज्ञान हे भी तो उसका पालन नहीं कर पाते हैं ।

▶ ऐसे में गुरु मंत्र स्तोत्र पाठ पूजा अर्चना विग्रह सेवा इत्यादि का कर पाना निषेध होता है ।

▶ विशेषकर शुद्धि अशुद्धि के अभाव में । महिलाओं के निषेध काल में भी कुछ नहीं हो पाता

▶ जीवन में अनेकों बार अस्वस्थता के कारण स्नान नहीं हो पाता

▶ अनेकों बार असाध्य रोगों  क कारण हॉस्पिटल में काफी दिन बिताने पड़ते हैं और हमारी पंजाबी बहिनों का तो शुद्धि अशुद्धि का गज़ब का ही विचार है

▶ एक दिन एक मेरी वैष्णव महिला बहन अपना पूरा प्रसाद अपनी थाली में खा जाने के बाद मेरे से बोली भइया जी यह मेरी थाली में जो राजभोग रखा है यह आप ले लीजिए यह सुच्चा है । मैंने इसे जूठा नहीं किया

▶ ऐसे हम लोगों के लिए, जो शुद्धि अशुद्धि के विषय में अविवेकी हैं , अशक्त हैं । उनको यदि श्री हरिनाम संकीर्तन रूपसे , हरिनाम जप रूपसे , हरिनाम का उपहार यदि नहीं मिला होता तो हम लोग क्या करते

▶ गुरु मंत्र , स्तोत्र पाठ कर नहीं पाते । नाम होता नहीं तो हमारा कल्याण कैसे होता ।। कृपा हो महाप्रभु जी की । कृपा हो वेद शास्त्र उपनिषद की जिन्होंने नाम का उद्घोष किया और श्री नित्यानंद महाप्रभु एवं श्री चैतन्य महाप्रभु ने संकीर्तन के पिता बन कर उन्होंने संकीर्तन को नामको आत्मसात किया और नाम का विश्व में प्रचार किया

▶ हम कलयुग के जीवो को नाम तो दिया, साथ ही यह परिचय भी दिया कि सोते, खाते, पीते, बैठते उठते,  शुद्धि में अशुद्धि में , अस्नान में , ट्रेन में, मासिक धर्म में  ,

▶ कैसे भी हो तुलसी माला से या काउंटर से नाम जप करते रहो  । नाम जप करते रहो । और अपने जीवन को सफल करते रहो

▶ यह नाम नामी से अभिन्न है । यह नाम साध्य भी है साधन भी है । इस नाम के द्वारा नाम को ही प्राप्त करना है ।

▶ इसमें किसी प्रकार की शुद्धि अशुद्धि का विचार भी नहीं है यह निश्चित ही हम जीवो के लिए एक इतना बड़ा उपहार है जिसको वाणी में और शब्दों में नहीं कहा जा सकता

▶ फिर भी दुर्दैव । फिर भी हमारा दुर्भाग्य कि हमारी इस नाम के प्रति रुचि नहीं बन पा रही है हम उस नाम का उतना आश्रय से नहीं ले पा रहे हैं जितना हम ले सकते हैं

▶ संत सदगुरु वैष्णव कृपा करें और हम नाम के महत्व को समझते हुए नाम के आश्रित हो पाए तो जीवन में इससे बड़ी उपलब्धि कोई नहीं होगी और इससे बेहतर गज़ब का उपहार नही होगा हमारे लिए ।

🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई  ॥ 🐚

🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn

गज़ब का अनुपम उपहार

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