✔ *श्री राधाष्टमी की पूर्व संध्या पर* ✔
▶ हमारो धन राधा श्री राधा श्री राधा
▶ राधाष्टमी निकट है । श्री राधा जू के बारे में आज कुछ चर्चा की जाए ।
▶ एक होता है विषय । एक होता है आश्रय ।
जैसे यह मोबाइल की डिवाइस है, यह आश्रय है टेलीग्राम या वॉट्सएप्प का ।
▶ यदि टेलीग्राम का प्रयोग करना है तो यह मोबाइल लेना ही पड़ेगा और केवल इसी मोबाइल को ही हम लक्ष्य मान लें । उसमें कोई सॉफ्टवेयर ना डलवाएं तो मोबाइल का पूर्ण सदु प्रयोग नहीं माना जाएगा ।
▶ यह यद्यपि बहुत निकृष्ट सा उदाहरण है फिर भी समझने में सहायता देता है ।
▶ हमारे आराध्य, हमारे उपास्य, हमारा टारगेट श्री कृष्ण या श्री कृष्ण चरण सेवा है । श्री कृष्ण हमारे विषय हैं । और कृष्ण का आश्रय है श्री राधा रानी ।
▶ यदि हमें श्री कृष्ण चरण सेवा प्राप्त करनी है तो हमें श्री राधा रानी का भजन, राधा रानी की सेवा, राधारानी की प्रसन्नता विधान करनी पड़ेगी ।
▶ वैसे भी श्री कृष्ण चरण सेवा करने वाली सर्वोपरि यदि कोई पात्र हैं तो वह राधा रानी है । हमें भी श्री कृष्ण चरण सेवा प्राप्त करनी है तो क्यों ना हम भी उस श्री राधारानी की प्रसन्नता का विधान करें जिससे वह शीघ्र ही हमें श्री कृष्ण चरण सेवा प्राप्त करा दें ।
▶ राधारानी आश्रय तत्व है ।
▶ राधारानी उपास्य तत्व नहीं है ।
▶ इसलिए उपास्य तत्व ब्रजेंद्रनंदन कृष्ण और
प्राप्तव्य धाम श्री वृंदावन
उपासना वहीं जो राधा जी ने की और
प्रमाण श्रीमद् भागवत
▶ इन चारों का आश्रय लेते हुए हम श्री राधा रानी की सखी श्री ललिता विशाखा ।
▶ ललिता विशाखा के आनुगत्य में हमारी संप्रदाय के आचार्य ।
▶ हमारी संप्रदाय के आचार्य के आनुगत्य में हमारे गुरुदेव
और गुरुदेव के आनुगत्य में हम
▶ इस प्रॉपर चैनल से हम श्री कृष्ण की कृपा श्रीकृष्ण की चरण सेवा प्राप्त कर सकते हैं।
▶ राधारानी क्योंकि कृष्ण को सर्वाधिक प्रिय है। प्रिय क्या, राधा रानी श्री कृष्ण ही है , एक प्रकार से कृष्ण में निहित अनंत शक्तियां में से सर्वोपरि जो शक्ति है वह है आल्हादिनी शक्ति ।
▶ श्रीकृष्ण को आनंद देने वाली शक्ति । और वह है हमारी श्री राधा रानी । श्रीकृष्ण अपना नाम सुनकर भी उतना प्रसन्न नहीं होते हैं, जितना वह श्री राधा का नाम सुनकर प्रसन्न होते हैं ।
▶ श्री राधा के जन्मोत्सव में जब हम नाचते हैं तो कृष्ण इतने प्रसन्न होते हैं, इतने प्रसन्न होते हैं कि अपने जन्मोत्सव जन्माष्टमी पर नाचने में भी नहीं होते ।
▶ श्रीराधा का जन्मोत्सव निकट है । हम राधा जी का अभिषेक करें । राधे राधे की ध्वनि करें । राधा का नाम ले तो शीघ्र ही हमें श्री कृष्ण चरण सेवा प्राप्त हो जाएगी । इसलिए किे कृष्ण प्रसन्न होते हैं ।
▶ इस तात्विक दृष्टि को ध्यान में रखते हुए श्री राधा की उपासना । श्री राधा का आनुगत्य । श्री राधा नाम करते करते हम कृष्णचरण सेवा प्राप्त कर लेंगे ।
▶ वृंदावन में अनेक संप्रदायी कोई जय निताई बोलता है । कोई जय हरिदास बोलता है । कोई जय बिहारी जी बोलता है । कोई जय दामोदर बोलता है । कोई जय गौर बोलता है ।
▶ लेकिन जय श्री राधे सभी बोलते हैं । आइए हम भी बोलें । जय जय श्री राधे ।
🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई ॥ 🐚
🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn
▶ हमारो धन राधा श्री राधा श्री राधा
▶ राधाष्टमी निकट है । श्री राधा जू के बारे में आज कुछ चर्चा की जाए ।
▶ एक होता है विषय । एक होता है आश्रय ।
जैसे यह मोबाइल की डिवाइस है, यह आश्रय है टेलीग्राम या वॉट्सएप्प का ।
▶ यदि टेलीग्राम का प्रयोग करना है तो यह मोबाइल लेना ही पड़ेगा और केवल इसी मोबाइल को ही हम लक्ष्य मान लें । उसमें कोई सॉफ्टवेयर ना डलवाएं तो मोबाइल का पूर्ण सदु प्रयोग नहीं माना जाएगा ।
▶ यह यद्यपि बहुत निकृष्ट सा उदाहरण है फिर भी समझने में सहायता देता है ।
▶ हमारे आराध्य, हमारे उपास्य, हमारा टारगेट श्री कृष्ण या श्री कृष्ण चरण सेवा है । श्री कृष्ण हमारे विषय हैं । और कृष्ण का आश्रय है श्री राधा रानी ।
▶ यदि हमें श्री कृष्ण चरण सेवा प्राप्त करनी है तो हमें श्री राधा रानी का भजन, राधा रानी की सेवा, राधारानी की प्रसन्नता विधान करनी पड़ेगी ।
▶ वैसे भी श्री कृष्ण चरण सेवा करने वाली सर्वोपरि यदि कोई पात्र हैं तो वह राधा रानी है । हमें भी श्री कृष्ण चरण सेवा प्राप्त करनी है तो क्यों ना हम भी उस श्री राधारानी की प्रसन्नता का विधान करें जिससे वह शीघ्र ही हमें श्री कृष्ण चरण सेवा प्राप्त करा दें ।
▶ राधारानी आश्रय तत्व है ।
▶ राधारानी उपास्य तत्व नहीं है ।
▶ इसलिए उपास्य तत्व ब्रजेंद्रनंदन कृष्ण और
प्राप्तव्य धाम श्री वृंदावन
उपासना वहीं जो राधा जी ने की और
प्रमाण श्रीमद् भागवत
▶ इन चारों का आश्रय लेते हुए हम श्री राधा रानी की सखी श्री ललिता विशाखा ।
▶ ललिता विशाखा के आनुगत्य में हमारी संप्रदाय के आचार्य ।
▶ हमारी संप्रदाय के आचार्य के आनुगत्य में हमारे गुरुदेव
और गुरुदेव के आनुगत्य में हम
▶ इस प्रॉपर चैनल से हम श्री कृष्ण की कृपा श्रीकृष्ण की चरण सेवा प्राप्त कर सकते हैं।
▶ राधारानी क्योंकि कृष्ण को सर्वाधिक प्रिय है। प्रिय क्या, राधा रानी श्री कृष्ण ही है , एक प्रकार से कृष्ण में निहित अनंत शक्तियां में से सर्वोपरि जो शक्ति है वह है आल्हादिनी शक्ति ।
▶ श्रीकृष्ण को आनंद देने वाली शक्ति । और वह है हमारी श्री राधा रानी । श्रीकृष्ण अपना नाम सुनकर भी उतना प्रसन्न नहीं होते हैं, जितना वह श्री राधा का नाम सुनकर प्रसन्न होते हैं ।
▶ श्री राधा के जन्मोत्सव में जब हम नाचते हैं तो कृष्ण इतने प्रसन्न होते हैं, इतने प्रसन्न होते हैं कि अपने जन्मोत्सव जन्माष्टमी पर नाचने में भी नहीं होते ।
▶ श्रीराधा का जन्मोत्सव निकट है । हम राधा जी का अभिषेक करें । राधे राधे की ध्वनि करें । राधा का नाम ले तो शीघ्र ही हमें श्री कृष्ण चरण सेवा प्राप्त हो जाएगी । इसलिए किे कृष्ण प्रसन्न होते हैं ।
▶ इस तात्विक दृष्टि को ध्यान में रखते हुए श्री राधा की उपासना । श्री राधा का आनुगत्य । श्री राधा नाम करते करते हम कृष्णचरण सेवा प्राप्त कर लेंगे ।
▶ वृंदावन में अनेक संप्रदायी कोई जय निताई बोलता है । कोई जय हरिदास बोलता है । कोई जय बिहारी जी बोलता है । कोई जय दामोदर बोलता है । कोई जय गौर बोलता है ।
▶ लेकिन जय श्री राधे सभी बोलते हैं । आइए हम भी बोलें । जय जय श्री राधे ।
🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई ॥ 🐚
🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn
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