✔ *श्री कृष्ण की स्टाइल* ✔
▶ श्री कृष्ण ने कहा है 'अहम भक्त पराधीनो' ।अर्थात मैं भक्तों के आधीन हूं । और आगे भी कहा है कि जो भक्त पूर्ण रुप से मेरे शरणागत हो जाता है मैं तुरंत ही उसके वशीभूत हो जाता हूं
▶ इसका साफ-साफ मतलब यह हुआ कि कृष्ण को वशीभूत करना है तो उनकी भक्ति करो ।
▶ भक्ति माने उनकी सेवा, उनका सुख संपादन, उनकी प्रार्थना, उनकी पूजा, उनकी हां में हां, उनके सुख में सुखी ।
▶ ऐसा यदि हम करेंगे तो कृष्ण हमारे वशीभूत हो जाएंगे । वशीभूत होने का अर्थ तो हम आप सब समझते ही हैं
▶ अपने जीवन में भी यही स्टाइल अपनानी है हमें । जिसको हमे वशीभूत करना है उसकी चेला गिरी शुरु कर दें । उसके सुख में सुखी हो, उसका ध्यान रखें, उसकी बात माने, उस की सुविधा का ध्यान रखें, उस को सम्मान दें, तो वह व्यक्ति भी हमारे वशीभूत हो जाएगा
▶ फिर वह चाहे पति हो, पत्नी हो, पिता हो, पुत्र हो हम करते उलटा है जिसको वशीभूत करना हो उसको डांट के रखते हैं ।
▶ तभी यह सारे झंझट हो रहे हैं । अतः आज से यह श्रीकृष्ण की स्टाइल अपना कर देखिए । क्योंकि यह कृष्ण की स्टाइल है इसलिए गलत तो हो नहीं सकती । पक्का है । पूरी तरह पक्का है कि
▶ हम होंगे कामयाब
▶ और जब हमारे आसपास के लोग हम से प्रसन्न रहेगे, हमारे वशीभूत रहेंगे तो हमें भजन में भक्ति में किसी भी प्रकार की बाधा पहुंचाना तो दूर हमारा सहयोग करेंगे
▶ और हम आनंदपूर्वक भजन भक्ति में लगकर अपने मानव जीवन को सफल करते हुए एक ना एक दिन होंगे कामयाब
और श्री कृष्ण चरण सेवा को प्राप्त कर लेंगे
🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई ॥ 🐚
🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn
▶ श्री कृष्ण ने कहा है 'अहम भक्त पराधीनो' ।अर्थात मैं भक्तों के आधीन हूं । और आगे भी कहा है कि जो भक्त पूर्ण रुप से मेरे शरणागत हो जाता है मैं तुरंत ही उसके वशीभूत हो जाता हूं
▶ इसका साफ-साफ मतलब यह हुआ कि कृष्ण को वशीभूत करना है तो उनकी भक्ति करो ।
▶ भक्ति माने उनकी सेवा, उनका सुख संपादन, उनकी प्रार्थना, उनकी पूजा, उनकी हां में हां, उनके सुख में सुखी ।
▶ ऐसा यदि हम करेंगे तो कृष्ण हमारे वशीभूत हो जाएंगे । वशीभूत होने का अर्थ तो हम आप सब समझते ही हैं
▶ अपने जीवन में भी यही स्टाइल अपनानी है हमें । जिसको हमे वशीभूत करना है उसकी चेला गिरी शुरु कर दें । उसके सुख में सुखी हो, उसका ध्यान रखें, उसकी बात माने, उस की सुविधा का ध्यान रखें, उस को सम्मान दें, तो वह व्यक्ति भी हमारे वशीभूत हो जाएगा
▶ फिर वह चाहे पति हो, पत्नी हो, पिता हो, पुत्र हो हम करते उलटा है जिसको वशीभूत करना हो उसको डांट के रखते हैं ।
▶ तभी यह सारे झंझट हो रहे हैं । अतः आज से यह श्रीकृष्ण की स्टाइल अपना कर देखिए । क्योंकि यह कृष्ण की स्टाइल है इसलिए गलत तो हो नहीं सकती । पक्का है । पूरी तरह पक्का है कि
▶ हम होंगे कामयाब
▶ और जब हमारे आसपास के लोग हम से प्रसन्न रहेगे, हमारे वशीभूत रहेंगे तो हमें भजन में भक्ति में किसी भी प्रकार की बाधा पहुंचाना तो दूर हमारा सहयोग करेंगे
▶ और हम आनंदपूर्वक भजन भक्ति में लगकर अपने मानव जीवन को सफल करते हुए एक ना एक दिन होंगे कामयाब
और श्री कृष्ण चरण सेवा को प्राप्त कर लेंगे
🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई ॥ 🐚
🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn
No comments:
Post a Comment