Friday, 16 September 2016

टाट की बोरी में डीजल

​​​​​​​✔  *टाट की बोरी में डीजल *    ✔

▶ कुछ दिन पूर्व यू एस ए से एक परिवार मेरे पास आया । उनके साथ एक साथ 8 साल का बालक भी था । बैठे रहे चर्चा होती रही

▶ जाते जाते उसकी मैया बोली । भइया जी यह लाला पूछता है के कृष्णा मेरे से आमने सामने आ कर बात क्यों नहीं करता है

▶ आप इसको बताओ । मैंने बालक को अपने पास बिठाया उसको समझाया

▶ जिस तरह हवा नहीं दिखती है लेकिन होती है और फील करनी पड़ती है

▶ जिस तरह मोबाइल का नेटवर्क नहीं दिखता है लेकिन होता है

▶ जिस तरह wifi का नेटवर्क दिखता नहीं है लेकिन होता है और कनकट करना पड़ता है

▶ वह u.s.a. का इलेक्ट्रॉनिक फैमिली बालक था एक क्षण में उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई और वह इस बात को समझ गया

▶ मैंने उससे कहा कृष्णा है तुमको फील होता है या नहीं । तो वह झट से बोला अंकल फील तो होता है । तो मैंने उससे कहा यह फील ही होगा । तुम उसको आंख से नहीं देख सकते हो

▶ बोला क्यों नहीं देख सकते हैं
मैंने उससे कहा कि वह चिन्मय तत्व है । हमारी आंखें पंच भौतिक हैं । पंच भौतिक आंखों से चिन्मय तत्व को नहीं देखा जा सकता

▶ और क्लियर किया कि जैसे एलिजिबिलिटी या पात्रता होने पर ही उस पात्र में वस्तु का समावेश होता है

▶ थोड़ा और क्लियर किया कि यदि हमें डीजल लेना है तो टाट की बोरी में हम डीजल नहीं ले सकते उसके लिए हमें केन चाहिए

▶ ठीक उसी प्रकार श्री कृष्ण आंखों से नहीं देखे जा सकते हैं वह केवल हृदय में महसूस किए जा सकते हैं

▶ यदि हृदय में महसूस हो जाते हैं तो यह पक्का मान लेना चाहिए कि आपने कृष्ण को देख लिया या महसूस किया

▶ बालक संतुष्ट हो गया  । मैं भी संतुष्ट हो गया । इस प्रकार चिन्मय विग्रह श्रीकृष्ण को चिन्मय हृदय द्वारा ही महसूस किया जा सकता है

▶ आंखों स भीे देखा जा सकता है तब जबकि श्री गुरुदेव या संत द्वारा आंखों को भी चिन्मयत्व प्रदान कर दिया जाए

▶ गहरी बात है फिर कभी चर्चा करेंगे


🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई  ॥ 🐚

🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn


की बोरी में डीजल

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