Monday 12 September 2016

हमारी औकात


​​​✔  *हमारी औकात*    ✔

▶ जीवन में जिस प्रकार हम अपनी योग्यता अपनी शक्ति, अपने धन, अपनी शिक्षा, अपने परिवार के आधार पर ही कामनाएं करते हैं । इच्छाएं करते हैं, कार्य करते हैं । सुख साधन विलासिता जुटाते हैं

▶ उसी प्रकार भजन के क्षेत्र में भी अपनी योग्यता और अपनी परिस्थिति के अनुसार प्रवेश होता है और प्रवेश करने का आदेश है

▶ आजकल सोशल मीडिया पर भगवान की निकुंज लीलाओं को तमाशा बना दिया गया है । यह तमाशा इसलिए बना है के नाम तो भगवान की लीलाओं का और उद्देश्य अपना विषय सुख प्राप्त करने का

▶ हम अभी पहली दूसरी कक्षा के साधक हैं । निकुंज लीला एकदम अल्टीमेट क्लास है । निकुंज लीला के लिए हमें सर्वप्रथम स्त्री-पुरुष के भेद से रहित होना है ।

▶ हम यह भूल जाएं हम स्त्री है या पुरुष है  । यह पहली योग्यता जो कि सोशल मीडिया पर रहने वाले एक भी व्यक्ति में नहीं है

▶ मेरी यह गारंटी है यदि यह योग्यता आ जाएगी तो वह सोशल मीडिया पर नहीं मिलेगा निश्चित निश्चित निश्चित

▶ दूसरी योग्यता दीक्षा

▶ तीसरी योग्यता कम से कम 100000 नामजप

▶ चौथी योग्यता गुरुदेव द्वारा प्रणाली प्रदान करते हुए साधक को चिन्मय देह प्रदान करना

▶ पांचवीं योग्यता साधक को अपने स्वरूप अपने देह अपनी वयस् और अपनी सेवा का ज्ञान होना

▶ इत्यादि अनेक बातें हैं जो शायद मुझे भी अभी पूरी तरह से पता नहीं है

▶ इसको एक गंदे से  उदाहरण से समझता हूं
आपकी माता जब वस्त्र बदलती है तो शायद पिता को भी कमरे से बाहर निकाल देती है और पुत्र होते हुए भी हम उस कक्षा में प्रवेश नहीं कर सकते हैं

▶ लेकिन जब उसका ऑपरेशन होता है तो थिएटर में सारे वस्त्र उतार कर एक गाउन में उसे ले जाया जाता है और थिएटर में डॉक्टर नर्स आदि उसके गाउन को इधर-उधर करके उसका ऑपरेशन करते हैं

▶ तो यह जो है यह उस डॉक्टर और नर्सों की विशेष योग्यता है जो की पुत्र में भी नहीं है । यह उदाहरण बिलकुल भी उपयुक्त नही ।

▶ इसी प्रकार प्रिया प्रीतम की जो निकुंज लीलाएं है वहां उनके निकुंज में आलिंगन चुम्बन मिलन मान राग अनुराग की लीलाएं हैं उनमें हर किसी का प्रवेश कदापि नहीं है

▶ यहां तक कि हमारे सिद्ध स्वरूप गोस्वामी पाद भी यही प्रार्थना करते नजर आते हैं कि आपकी इन लीलाओं का दर्शन कब में किसी निकुंज के झरोखे से करूंगा

▶ तो आप हम किस खेत की मूली है और हमारी औकात क्या है कि हम ठाकुर के निकुंज की अंतरंग लीलाओं की खुले में चर्चा करें साथ ही

▶ उनका सोशल मीडिया पर चिंतन करें उनके निकुंज के चित्रों को यहां प्रकाशित करें आप सच मानिए अपने हृदय को टटोल कर देखिए कहीं न कहीं इस प्रकार की चर्चा से हम अपनी विषय सुखों को पुष्ट करते हैं

▶ मेरी गारंटी है कि हम में से किसी को भी वहां प्रवेश करने की औकात नहीं है । नहीं है । नहीं है ठाकुर की निकुंज लीलाएं केवल श्री गुरुदेव के साथ बैठकर, सिद्ध संतो के साथ बैठकर या मानसिक लीला में एकांत में बैठ कर की जाती है

▶ जहां तक पहुंचने में अभी बहुत देर हे अनेक जन्म लगेंगे अतः सावधान सावधान सावधान

🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई  ॥ 🐚

🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn

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