⚱⚱⚱⚱⚱⚱⚱⚱⚱⚱
सूक्ष्म सूत्र / गागर में सागर
भाग 26
यदि आप कष्ट में हैं
तो सोचो पाप कट रहें हैं,
यदि आनंद में हैं तो सोचो
पूण्य घट रहे हैं इसलिए
जो घट रहा हैं अगले
जन्म के लिए उसका संचय
करना प्रारम्भ कर दो
जो आपसे प्रेम करता हो
उससे प्रेम करना आसान है
परन्तु प्रेम न करने वाले के
हृदय में अपने प्रति
प्रेम उतपन्न करा लेना-
यह एक असाधरण गुण हैं.
जैसे फल से लदे वृक्ष
झुक जाते है- ऐसे ही
समृद्धि आने पर
विनम्रता आणि चाहिए
यदि विनम्रता नही आयी
तो समझो फल थोथे है.
अर्थात समृद्धि झूठी है.
॥ जय श्री राधे ॥
॥ जय निताई ॥
लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn
सूक्ष्म सूत्र / गागर में सागर
भाग 26
यदि आप कष्ट में हैं
तो सोचो पाप कट रहें हैं,
यदि आनंद में हैं तो सोचो
पूण्य घट रहे हैं इसलिए
जो घट रहा हैं अगले
जन्म के लिए उसका संचय
करना प्रारम्भ कर दो
जो आपसे प्रेम करता हो
उससे प्रेम करना आसान है
परन्तु प्रेम न करने वाले के
हृदय में अपने प्रति
प्रेम उतपन्न करा लेना-
यह एक असाधरण गुण हैं.
जैसे फल से लदे वृक्ष
झुक जाते है- ऐसे ही
समृद्धि आने पर
विनम्रता आणि चाहिए
यदि विनम्रता नही आयी
तो समझो फल थोथे है.
अर्थात समृद्धि झूठी है.
॥ जय श्री राधे ॥
॥ जय निताई ॥
लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn
No comments:
Post a Comment