Tuesday, 2 August 2016

सूक्ष्म सूत्र / गागर में सागर भाग 23

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सूक्ष्म सूत्र / गागर में सागर
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 🔮 भाग 23

💡 पानी पीजै छान के
गुरु कीजै जान के
दीक्षा गुरु   एक होते हैं
और अपरिवर्तनीय होते हैं
अतः गुरु धारण करने से पहले
सावधान!!! परन्तु
शिक्षा गुरु
अनेक हो सकते है.

💡 श्रीमदभागवत में लिखा हैं
“यथोsर्थे धर्मसेवनम”
अर्थात कलियुग में केवल
यश प्राप्ति की कामना से
ही लोग धर्म में प्रवृत दीखेंगे .
धर्म सेवन के मूल उददेश्य
भगवद भजन में उनकी
प्रवृति नही होगी. किन्तु
यह भी सत्य है कि निरंतर
धर्म सेवन से वह व्यक्ति उसके
सत्प्रभाव से वंचित न रह पायेगा.


💡 भगवत कथा श्रवण से
या संकीर्तन –सत्संग में
कुछ भक्त भावावेश में
रोने लगते हैं. अनेक कारणों में
से रोने के दो प्रमुख कारण है
सवयं के दुखो को याद करके
रोना और दूसरा
भगवत विरह में अन्यास रोना


🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई  ॥ 🐚

🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया 
LBW - Lives Born Works at vrindabn




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