🌹 अतरंग दर्शन या चित्र 🌹
प्रिया प्रियतम की अनेक अंतरंग लीलाएं हैं । रास है विलास है । निकुंज की लीलाएं हैं । निभृत निकुंज की रसमई अत्यंत मधुर लीलाएं हैं ।
🔴 मिलन है आलिंगन है आदि आदि बहुत प्रकार की लीलाएं हैं । लेकिन यह लीलाएं अंतरंग है ।
🍎और इन लीलाओं में हम जैसे जनसामान्य का अधिकार नहीं है । बहुत अनुकूल तो नहीं लेकिन फिर भी एक उदाहरण से समझते हैं
📍🚩जिस प्रकार हम और आप हैं । हम विवाहित हैं अपनी पत्नी के साथ रात्रि में बेडरूम में शयन करते हैं और जो भी बेडरूम एक्टिविटीज करते हैं उनके चित्र कभी भी प्रकाशित नहीं करते हैं न न खींचते हैं ना उस विषय में चर्चा ही करते हैं
⛱पब्लिक के सामने । पब्लिक क्या अपने परिवार के सामने भी चर्चा नहीं होती है । और यदि चित्र प्रकाशित किए जाएं या बात भी की जाए तो अश्लीलता की श्रेणी में आती है
🔵हम अपना यदि चित्र प्रकाशित करते हैं तो वह शालीन होता है । सही परिस्थिति में होता है लोकलाज से युक्त होता है
🌳🌳लकिन इधर में देख रहा हूं हमारे ठाकुर प्रिया प्रियतम के अनेकानेक अंतरंग अवस्था के चित्र एक तो बनाए जा रहे हैं । जबकि नहीं बनाने चाहिए ये चिंतन का विषय है आँखों का नही
🌷🌷यदि कोई साधक उसे बना रहा है या बनवा रहा है तो ऐसे चित्रों को उसको अपने लीला चिंतन के लिए गोपनीय ही रखना चाहिए
🍉🍉उसे सोशल मीडिया पर प्रकाशित नहीं करना चाहिए ठाकुर के ऐसे चित्रों को प्रकाशित करने से एक तो भीषण अपराध है
🍒🍒दसरा अनधिकारी लोग जब उन्हें देखते हैं तो उनकी कामवासना की ही पूर्ति होती है क्योंकि उसमें ठाकुर के प्रति ना तो भाव है ना वे इन अंतरंग लीलाओं को जानते हैं समझते हैं और केवल और केवल कामक्रीड़ा के रूप में इनको देखते हैं जबकि ऐसा कदापि नहीं है
🎈🎈अतः जब हम एक मामूली से इंसान अपने अंतरंग चित्रों को प्रकाशित नहीं करते हैं तो सृष्टि के नियंता परम ब्रहम ठाकुर श्री कृष्ण एवं राधा के अंतरंग चित्रों को क्यों प्रकाशित करते हैं
🍎 हमें ऐसे चित्र ना तो प्रकाशित करने चाहिए और प्रकाशित करने वालों को सावधान भी करना चाहिए
👌👌ऐसे चित्र प्रकाशित करने वाले किस अपराध किस पाप में आएंगे और उसका क्या फल मिलेगा यह तो ठाकुर ही जाने
😏😏अतः कम से कम जो करता है करने दें । हम सावधान हो कि हमारे द्वारा यह भूल कदापि न हो
🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn
प्रिया प्रियतम की अनेक अंतरंग लीलाएं हैं । रास है विलास है । निकुंज की लीलाएं हैं । निभृत निकुंज की रसमई अत्यंत मधुर लीलाएं हैं ।
🔴 मिलन है आलिंगन है आदि आदि बहुत प्रकार की लीलाएं हैं । लेकिन यह लीलाएं अंतरंग है ।
🍎और इन लीलाओं में हम जैसे जनसामान्य का अधिकार नहीं है । बहुत अनुकूल तो नहीं लेकिन फिर भी एक उदाहरण से समझते हैं
📍🚩जिस प्रकार हम और आप हैं । हम विवाहित हैं अपनी पत्नी के साथ रात्रि में बेडरूम में शयन करते हैं और जो भी बेडरूम एक्टिविटीज करते हैं उनके चित्र कभी भी प्रकाशित नहीं करते हैं न न खींचते हैं ना उस विषय में चर्चा ही करते हैं
⛱पब्लिक के सामने । पब्लिक क्या अपने परिवार के सामने भी चर्चा नहीं होती है । और यदि चित्र प्रकाशित किए जाएं या बात भी की जाए तो अश्लीलता की श्रेणी में आती है
🔵हम अपना यदि चित्र प्रकाशित करते हैं तो वह शालीन होता है । सही परिस्थिति में होता है लोकलाज से युक्त होता है
🌳🌳लकिन इधर में देख रहा हूं हमारे ठाकुर प्रिया प्रियतम के अनेकानेक अंतरंग अवस्था के चित्र एक तो बनाए जा रहे हैं । जबकि नहीं बनाने चाहिए ये चिंतन का विषय है आँखों का नही
🌷🌷यदि कोई साधक उसे बना रहा है या बनवा रहा है तो ऐसे चित्रों को उसको अपने लीला चिंतन के लिए गोपनीय ही रखना चाहिए
🍉🍉उसे सोशल मीडिया पर प्रकाशित नहीं करना चाहिए ठाकुर के ऐसे चित्रों को प्रकाशित करने से एक तो भीषण अपराध है
🍒🍒दसरा अनधिकारी लोग जब उन्हें देखते हैं तो उनकी कामवासना की ही पूर्ति होती है क्योंकि उसमें ठाकुर के प्रति ना तो भाव है ना वे इन अंतरंग लीलाओं को जानते हैं समझते हैं और केवल और केवल कामक्रीड़ा के रूप में इनको देखते हैं जबकि ऐसा कदापि नहीं है
🎈🎈अतः जब हम एक मामूली से इंसान अपने अंतरंग चित्रों को प्रकाशित नहीं करते हैं तो सृष्टि के नियंता परम ब्रहम ठाकुर श्री कृष्ण एवं राधा के अंतरंग चित्रों को क्यों प्रकाशित करते हैं
🍎 हमें ऐसे चित्र ना तो प्रकाशित करने चाहिए और प्रकाशित करने वालों को सावधान भी करना चाहिए
👌👌ऐसे चित्र प्रकाशित करने वाले किस अपराध किस पाप में आएंगे और उसका क्या फल मिलेगा यह तो ठाकुर ही जाने
😏😏अतः कम से कम जो करता है करने दें । हम सावधान हो कि हमारे द्वारा यह भूल कदापि न हो
🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn
No comments:
Post a Comment