✔ * ईमानदारी* ✔
➡ अपने कर्तव्यों को
ईमानदारी से करना धर्म है ।
➡ और सबसे बड़ा कर्तव्य है
भगवान की भक्ति करना । ये भी
ईमानदारी से । इसलिए इसे
परम धर्म कहते है । और जो ईमानदारी से
परम धर्म करता है वह धर्म तो
करता ही है । ठीक वेसे
जेसे इंटर पास व्यक्ति ने कक्षा 5 तो
पास की ही होती है ।
➡ पूरे प्रकरण में
➡ ईमानदारी पर मुख्य जोर है
बेईमानी या कपट से किया हुआ
न तो धर्म है न भक्ति
🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई ॥ 🐚
🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn
➡ अपने कर्तव्यों को
ईमानदारी से करना धर्म है ।
➡ और सबसे बड़ा कर्तव्य है
भगवान की भक्ति करना । ये भी
ईमानदारी से । इसलिए इसे
परम धर्म कहते है । और जो ईमानदारी से
परम धर्म करता है वह धर्म तो
करता ही है । ठीक वेसे
जेसे इंटर पास व्यक्ति ने कक्षा 5 तो
पास की ही होती है ।
➡ पूरे प्रकरण में
➡ ईमानदारी पर मुख्य जोर है
बेईमानी या कपट से किया हुआ
न तो धर्म है न भक्ति
🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई ॥ 🐚
🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
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