Tuesday, 16 August 2016

ईमानदारी

✔  * ईमानदारी*  ✔

अपने कर्तव्यों को
ईमानदारी से करना धर्म है ।

और सबसे बड़ा कर्तव्य है
भगवान की भक्ति करना । ये भी
ईमानदारी से । इसलिए इसे
परम धर्म कहते है । और जो ईमानदारी से
परम धर्म करता है वह धर्म तो
करता ही है । ठीक वेसे
जेसे इंटर पास व्यक्ति ने कक्षा 5 तो
पास की ही होती है ।



पूरे प्रकरण में

ईमानदारी पर मुख्य जोर है
बेईमानी या कपट से किया हुआ
न तो धर्म है न भक्ति

🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई  ॥ 🐚

🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn

ईमानदारी


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