जय हो
श्री राधा रानी के व्रज रखवारी
के बारे में एक फैक्ट और भी है
जो बहुत जन जानते है
और बहुत नही जानते ।
के बारे में एक फैक्ट और भी है
जो बहुत जन जानते है
और बहुत नही जानते ।
वृन्दाबनं में जो शासन है
प्रशासन है उसकी अधीश्वरी
श्रीराधा रानी हैं ।
प्रशासन है उसकी अधीश्वरी
श्रीराधा रानी हैं ।
एक बार इस विषय में
सब सखा सखियों में
बहस छिड़ गयी कि राजा कौन ।
सब सखा सखियों में
बहस छिड़ गयी कि राजा कौन ।
सखा बोले नंदलाल
श्रीकृष्ण ही राजा हैं । और कौन ।
श्रीकृष्ण ही राजा हैं । और कौन ।
सखिया बोली । राजा हैं
हमारी राधा रानी ।
हमारी राधा रानी ।
सखा एवम् सखियों की सभा हुई
सबने अपने अपने तर्क रखे ।
कृष्ण एवम् सखा हार गए ।
हार स्वीकार की । एवम् सर्व सम्मति
से स्वयं कृष्ण एवम् सखाओं ने
श्री प्रिया जी का तिलक व
राज्याभिषेक किया ।
कृष्ण एवम् सखा हार गए ।
हार स्वीकार की । एवम् सर्व सम्मति
से स्वयं कृष्ण एवम् सखाओं ने
श्री प्रिया जी का तिलक व
राज्याभिषेक किया ।
तब से श्री राधारानी ही
ब्रज की रानी हैं ।
प्रशासक हैं । व्रज रखवारी हैं ।
ब्रज की रानी हैं ।
प्रशासक हैं । व्रज रखवारी हैं ।
इस पूरी लीला का वर्णन
माधव महोत्सव नामक ग्रन्थ में
श्री जीव गोस्वामी जी ने किया है ।
प्रामाणिक ग्रन्थ है । काल्पनिक नहीं ।
माधव महोत्सव नामक ग्रन्थ में
श्री जीव गोस्वामी जी ने किया है ।
प्रामाणिक ग्रन्थ है । काल्पनिक नहीं ।
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॥ जय श्री राधे ॥
॥ जय निताई ॥
॥ जय निताई ॥
लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn
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