Monday, 22 August 2016

अंतर

​​✔  *अंतर*  ✔ 
➡ श्री राम रूप में प्रभु ने अस्त्र । शस्त्र
धारण कर असुरों को मारा
➡ श्री कृष्ण रूप में प्रभु ने
व्रज में अनेक असुर तो मारे
लेकिन अस्त्र नहीं उठाया ।
हाँ द्वारका मथुरा में अस्त्र उठाया
➡ श्री चैतन्य महाप्रभु रूप में प्रभु ने
न तो अस्त्र उठाया
न किसी को मारा ही । अपितु
जो भी दुष्ट थे उन्हें
प्रेम प्रदान कर वैष्णव बना दिया ।
जेसे क़ाज़ी । जगाई माधाइ ​

🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई  ॥ 🐚


🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn

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