अपना ध्यान राखिये
आप या हम
जब बीमार पड़ते हैं ।
तो हमे जितना कष्ट होता है ।
उससे अनेक गुना कष्ट
हमारे आस पास के परिवारी
जनों को होता ह ।
जब बीमार पड़ते हैं ।
तो हमे जितना कष्ट होता है ।
उससे अनेक गुना कष्ट
हमारे आस पास के परिवारी
जनों को होता ह ।
हमारे कारण किसी को
कष्ट न हो । यह भावना रखते
हुए सदा ही चेष्टा सहित अपने
शरीर का ध्यान रखें । लापरवाही न करें ।
कष्ट न हो । यह भावना रखते
हुए सदा ही चेष्टा सहित अपने
शरीर का ध्यान रखें । लापरवाही न करें ।
समय पर दवा
एवम् भोजन का ध्यान रखें ।
इसमें भावना दूसरों के कष्ट की ।
अपनी सुंदरता या
बुड्ढे होने का भय नही ।
एवम् भोजन का ध्यान रखें ।
इसमें भावना दूसरों के कष्ट की ।
अपनी सुंदरता या
बुड्ढे होने का भय नही ।
शरीरमाद्यम् खलु धर्म साधनम्
शरीर से ही भजन होता है ।
और आप ध्यान से नओट करें
की सबसे पहले कुछ छूटता है तो भजन ।
शरीर से ही भजन होता है ।
और आप ध्यान से नओट करें
की सबसे पहले कुछ छूटता है तो भजन ।
अतः भजन के लिए
एवम् दूसरों को कष्ट न हो ।
ये भावना रखते हुए सदा अपने
को स्वस्थ रखें
एवम् दूसरों को कष्ट न हो ।
ये भावना रखते हुए सदा अपने
को स्वस्थ रखें
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