Saturday, 6 August 2016

सूक्ष्म सूत्र / गागर में सागर भाग 25

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सूक्ष्म सूत्र / गागर में सागर
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 भाग 25
 जो अपने द्वारा दिए गए
उपदेश एवं ज्ञान को
स्वयं आचरण में नहीं
उतारता वह अपना और
दूसरों का अमूल्य समय
नष्ट करता है.
 यह प्रभु ने मुझे दिया है. अब मैं
अपनी ओर से दे रहा हूं.
इस भावना से किसी को
दी गई कोई वस्तु या धन
निवेदन
की श्रेणी में आता है.
 यह प्रभु का है. अब मैं
उनकी ओर से दे रहा हूं.
इस भावना से किसी को
दी गई कोई वस्तु या धन
समर्पण
की श्रेणी में आता है.
 ॥ जय श्री राधे ॥ 
 ॥ जय निताई  ॥ 
 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया 
LBW - Lives Born Works at vrindabn

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