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सूक्ष्म सूत्र / गागर में सागर
सूक्ष्म सूत्र / गागर में सागर
भाग 25
जो अपने द्वारा दिए गए
उपदेश एवं ज्ञान को
स्वयं आचरण में नहीं
उतारता वह अपना और
दूसरों का अमूल्य समय
नष्ट करता है.
उपदेश एवं ज्ञान को
स्वयं आचरण में नहीं
उतारता वह अपना और
दूसरों का अमूल्य समय
नष्ट करता है.
यह प्रभु ने मुझे दिया है. अब मैं
अपनी ओर से दे रहा हूं.
इस भावना से किसी को
दी गई कोई वस्तु या धन
निवेदन
की श्रेणी में आता है.
अपनी ओर से दे रहा हूं.
इस भावना से किसी को
दी गई कोई वस्तु या धन
निवेदन
की श्रेणी में आता है.
यह प्रभु का है. अब मैं
उनकी ओर से दे रहा हूं.
इस भावना से किसी को
दी गई कोई वस्तु या धन
समर्पण
की श्रेणी में आता है.
उनकी ओर से दे रहा हूं.
इस भावना से किसी को
दी गई कोई वस्तु या धन
समर्पण
की श्रेणी में आता है.
॥ जय श्री राधे ॥
॥ जय निताई ॥
॥ जय निताई ॥
लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn
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