Tuesday, 30 August 2016

बंधन तोड़ना नहीं है

​​ ✔     *बंधन तोड़ना नहीं है*    ✔

▶ बंधन
तोड़ना नहीं, इसका रास्ता मोड़ना है
अब तक बहिन से राखी बंधवाते थे,अब किसी
संत से भी कंठी बंधवानी है

▶ अब तक संसार से बंधे थे,
रिश्तो से बंधे थे, धन से बंधे थे,
माया से बंधे थे

▶ अब संसार के स्वामी से बंधना है
भक्तो से बंधना है, भजन से बंधना है
माया से नहीं, मायापति की कृपाशक्ती से बंधना है
बंधन तोड़ना नहीं, कही और, कही अच्छी जगह जोड़ना है

▶ श्री गुरुदेव से कंठी रूपी पट्टा बंधवा लिया तो
'आवारा' से 'पालतू' हो जाओगे


🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई  ॥ 🐚

🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn

बंधन तोड़ना नहीं है

Monday, 29 August 2016

ग्रन्थ परिचय : श्रीविदग्धमाधवनाटक

📖 ग्रन्थ परिचय 2⃣6⃣  📖

💢 ग्रन्थ  नाम : श्रीविदग्धमाधवनाटक
💢 लखक : श्रीमद रूपगोस्वमिपाद
💢 भाषा : हिन्दी | ब्रजविभूति श्रीश्यामदास
💢 साइज़ : 14 x 22  सेमी
💢 पृष्ठ : 160 सॉफ्ट बाउंड
💢 मूल्य : 100 रूपये


💢 विषय वस्तु :
         श्रीराधाकृष्ण की दुर्लभ रसमय लीलाओ
    युक्त श्रीवृन्दावनीय लीलामय नाटक 


💢 कोड : M026-Ed4

💢 प्राप्ति स्थान

1⃣ खण्डेलवाल बुक स्टोर वृन्दाबन
2⃣ हरिनाम प्रेस वृन्दाबन
3⃣ रामा स्टोर्स, लोई बाजार पोस्ट ऑफिस

📬 डाक द्वारा । 09068021415
पोस्टेज फ्री

📗🔸📘🔹📙🔶📔

 ग्रन्थ परिचय : श्रीविदग्धमाधवनाटक


ज्ञान लेना ही हैं


✔     *ज्ञान लेना ही हैं*    ✔

▶ सर्वोत्तम तो यह हैं कि
सामने वाले को सपने से अधिक विज्ञ
मानकर उस से सीखने का प्रयास करें|
अपने को कम विज्ञ मानें |

▶ मध्यम यह है कि उसे मुर्ख न मानकर
अपने समान विज्ञ मानें और कुछ
सीखे | कुछ सिखाएं | 

▶ अधम यह हैं कि उसे मुर्क समझें
और अपने को विद्वान-ऐसा होने
पर बहस होगी | ज्ञान का
आदान-प्रदान नही होगा |

▶ वैसे भी बुद्धिमानी अधिक से अधिक ज्ञान
लेने में हैं | देना तो तब है, जब
कोई लेने का उत्सुक हो

▶ फिर भी मर्ज़ी आपकी |

🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई  ॥ 🐚

🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn


ज्ञान लेना ही हैं

Sunday, 28 August 2016

ग्रन्थ परिचय : श्रीगोपाल चम्पू

📖 ग्रन्थ परिचय 2⃣5⃣  📖

💢 ग्रन्थ  नाम : श्रीगोपाल चम्पू
💢 लखक : श्रीजीव गोस्वमिपाद
💢 भाषा : हिन्दी | ब्रजविभूति श्रीश्यामदास
💢 साइज़ : 19 x 25 सेमी
💢 पृष्ठ : 696 हार्ड बाउंड
💢 मूल्य : 500 रूपये

दासाभास कहिन भाग 28816

🙌🏼      🙏🏼     🙌🏼            🔏🔓
 *जय गौर हरि*
*संयुक्त सेवा परिकर*

📮📮कछ जिज्ञासाएँ❓
💽💽💽उनके समाधान....।
➖➖➖♦️➖➖➖
📮अलग बिरादरी या परिवार में बेटी का विवाह। ~~> http://yourlisten.com/Dasabhas/alag-biradari-me-vivah

💽⏰06:24
🎤 डा:श्री गिरिराज दासाभास नांगिया जी
      श्री धाम वृन्दावन से
➖➖➖♦️➖➖➖
📮 आत्मनिरीक्षण। ~~> http://yourlisten.com/Dasabhas/aatmnirikshan

💽⏰04:26
🎤 डा:श्री गिरिराज दासाभास नांगिया जी
      श्री धाम वृन्दावन से
➖➖➖♦️➖➖➖
📮गौमूत्र, गोबर एवम् शंख की महिमा। ~~> http://yourlisten.com/Dasabhas/gou-mutr-gobar-shankh-mahima

💽⏰04:20
🎤 डा:श्री गिरिराज दासाभास नांगिया जी
      श्री धाम वृन्दावन से
➖➖➖♦️➖➖➖
📮बहुत दिव्य (श्री धाम वास) पाने के लिए कुछ तो छोड़ना पड़ेगा (एक फ़ोन वार्त्ता)
 ~~> http://yourlisten.com/Dasabhas/1bhajanpanakyakhona
💽⏰01:32
🎤 डा:श्री गिरिराज दासाभास नांगिया जी
      श्री धाम वृन्दावन से
➖➖➖♦️➖➖➖
📮विवेक एवम् धैर्य। ~~> http://yourlisten.com/Dasabhas/vivek-or-nirnay

💽⏰03:59
🎤 डा:श्री गिरिराज दासाभास नांगिया जी
      श्री धाम वृन्दावन से
➖➖➖♦️➖➖➖
📮गरु एवम् कथावाचक में अंतर। दीक्षा कहाँ से? ~~> http://yourlisten.com/Dasabhas/guru-or-kathavaachak

💽⏰06:27
🎤 डा:श्री गिरिराज दासाभास नांगिया जी
      श्री धाम वृन्दावन से
➖➖➖♦️➖➖➖
📮 हस दृष्टांत- मनुष्य आचरण से.......। ~~> http://yourlisten.com/Dasabhas/hans-dudh-or-pani

💽⏰02:19
🎤 डा:श्री गिरिराज दासाभास नांगिया जी
      श्री धाम वृन्दावन से
➖➖➖♦️➖➖➖
📮 भह्म् एवम् क्रोध में अंतर। ~~> http://yourlisten.com/Dasabhas/braham-or-krodh

💽⏰03:04
🎤 डा:श्री गिरिराज दासाभास नांगिया जी
      श्री धाम वृन्दावन से
➖➖➖♦️➖➖➖


🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई  ॥ 🐚

🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
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Saturday, 27 August 2016

ग्रन्थ परिचय : श्रीमदभागवत महापुराण दशम-2


📖 ग्रन्थ परिचय 2⃣4⃣  📖
💢 ग्रन्थ  नाम : श्रीमदभागवत महापुराण
      दशम-2
💢 लखक : श्रीकृष्णद्वैपायन-वेदव्यास
💢 भाषा : संस्कृत मूल-हिन्दी
      अनुवाद-टीका श्री श्यामदास
💢 साइज़ : 14 x 22 सेमी
💢 पृष्ठ : 570 हार्ड बाउंड
💢 मूल्य : 200 रूपये
💢 विषय वस्तु :
     श्रीधरस्वामी, श्रीसनातन, श्रीजीव गोस्वामी
     श्रीविश्वनाथ चक्रवर्ती कृत टीकाओं
     पर आधारित हिंदी टीका सहित
💢 कोड : M024-Ed1
💢 प्राप्ति स्थान
1⃣ खण्डेलवाल बुक स्टोर वृन्दाबन
2⃣ हरिनाम प्रेस वृन्दाबन
3⃣ रामा स्टोर्स, लोई बाजार पोस्ट ऑफिस
📬 डाक द्वारा । 09068021415
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ग्रन्थ परिचय : श्रीमदभागवत महापुराण  दशम-2

सूक्ष्म सूत्र / गागर में सागर भाग 26

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सूक्ष्म सूत्र / गागर में सागर



 भाग 26

 यदि आप कष्ट में हैं
तो सोचो पाप कट रहें हैं,
यदि आनंद में हैं तो सोचो
पूण्य घट रहे हैं इसलिए
जो घट रहा हैं अगले
जन्म के लिए उसका संचय
करना प्रारम्भ कर दो

Friday, 26 August 2016

नंदोत्सव 26 अगस्त, 2016

🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई ॥ 🐚


दासाभास डा गिरिराज नांगिया
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एक को चुनो

​​✔ *एक को चुनो*  ✔ 

 अपनी छोटी बहिन के साथ उसके कॉलेज जाओ
उसकी कक्षा में बेठो थोडा लिखो पढो और आ जाओ.
केवल मनोरंजन है तो ठीक हैं

 लेकिन यदि आप सेरिअस है और यह कहे की में भी
पढ़ रही हूँ और बहिन के साथ रोज़ कॉलेज जाती हूँ तो आपका भ्रम है
न आपको रोज़ जाने दिया जाएगा न परीक्षा में
बेठने दिया जाएगा ने डिग्री मिलेगी और न नौकरी.

 इसी प्रकार कभी कृष्ण कभी राम कभी शिव कभी माता करोगे
तो हाल वही होगा,, मनोरंजन ही होगा बस...

 यदि गंभीर हो तो किसी भी एक के हो जाओ एक को पकड़ लो.
एक को पकड़ो. एक को भजो. एक में निष्ठां .एक की प्रतिस्था
चुनाव खुद करो सोच समझकर.

🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई ॥ 🐚

🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
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एक को चुनो


Wednesday, 24 August 2016

ग्रन्थ परिचय - श्रीमदभागवत महापुराण

📖 ग्रन्थ  परिचय 2⃣ 2⃣ 📖

💢 ग्रन्थ  नाम : श्रीमदभागवत महापुराण
      1-2 स्कन्ध
💢 लेखक : श्रीकृष्णद्वैपायन-वेदव्यास
💢 भाषा : संस्कृत मूल-हिन्दी अनुवाद-टीका
💢 साइज़ : 14 x 22 सेमी
💢 पृष्ठ  : 395 हार्ड बाउंड
💢 मुल्य : 150 रूपये

💢 विषय वस्तु :
     श्रीधरस्वामी, श्रीसनातन, श्रीजीव गोस्वामी
     श्रीविश्वनाथ चक्रवर्ती ज्कृत टीकाओं
     पर आधारित हिंदी टीका सहित

💢 कोड : M022-Ed1

💢 प्राप्ति  स्थान

1⃣ खण्डेलवाल बुक स्टोर वृन्दाबन
2⃣ हरिनाम प्रेस वृन्दाबन
3⃣ रामा स्टोर्स, लोई बाजार पोस्ट ऑफिस

📬 डाक द्वारा । 09068021415
पोस्टेज फ्री

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ग्रन्थ  परिचय - श्रीमदभागवत महापुराण

श्री कृष्ण जन्माष्टमी

*श्री कृष्ण जन्माष्टमी*

▶इस बार 25 अगस्त को यह उत्सव है।श्री कृष्ण का जन्म नहीं है। जन्मदिन है 5242वां।

▶आज के दिन श्री कृष्ण विग्रह या घर में विराजमान ठाकुर का पंचामृत आदि द्वारा अभिषेक किया जाता है।

▶विशेष भोगराग होता है। उत्सव होता है। व्रत होता है आदि आदि। दूसरे दिन नंद महोत्सव के रूप में बधाई गायन,  खूब खीर पूरी पकवान आदि का भोग एवं आनंद महोत्सव होता है।

▶जन्माष्टमी के दिन व्रत रखने की भी परम्परा है।कुछ वैष्णव तो अभिषेक से पूर्व तक व्रत रखते हैं अर्थात अन्न या जल भी ग्रहण नहीं करते हैं और अभिषेक के पंचामृत को लेकर व्रत को विश्राम दे देते हैं।

Tuesday, 23 August 2016

सूक्ष्म सूत्र / गागर में सागर भाग 26


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सूक्ष्म सूत्र / गागर में सागर


 भाग 26

 पाप करने से दुःख और
पूण्य करने से सुख
मिलेगा. किन्तु भक्ति
करने से भक्ति मिलेगी
और अगले जन्म में
भक्ति की अगली कक्षा में
प्रवेश मिलेगा.

फिर मज़बूरी क्या है जी

​✔ *फिर मज़बूरी क्या है जी*   ✔

➡ हमारे जीवन में हमें अनेक प्रकार के लोग मिलते हैं । किसी किसी से हमारा स्वभाव मिल जाता है और किसी किसी से हमारा स्वभाव बिल्कुल नहीं मिलता है

➡ जिन स स्वभावं मिल जाता है वह तो ठीक हैं । हमारे जीवन में अनुकूलता प्रदान करते हैं इससे हम आनंदित रहते हैं

➡ लेकिन कुछ लोग ऐसे होते हैं जिन से स्वभाव नहीं मिलता है और वह हर समय हमें मानसिक रुप से मतभेद होने के कारण परेशानी सी पैदा करते हैं

➡ विचार न मिलने वाले ऐसे कुछ लोग यदि हमारे रिश्तेदार हैं, हमारी माता है, हमारे पिता है, हमारा पुत्र है, पत्नी है, भाई है, बहन है, मामा है चाचा है, आदि आदि । 

➡ तब तो फिर भी हमारी कुछ मजबूरी है कि हम उन से संबंध बनाए रखें और उनको झेलते रहे क्योंकि उनसे एक ऐसा अकाट्य संबंध है जो चाहने पर भी तोड़ा नहीं जा सकता

➡ तो इस मजबूरी को झेलना ही पड़ता है और एक बुद्धिमान व्यक्ति को ऐसे लोगों को बेमन से अपने मतलब जितना जीना ही पड़ता है और जीना भी चाहिए इसी को जीवन का संतुलन या सामंजस्य कहते हैं

➡ लेकिन

➡ आजकल सोशल मीडिया पर चाहे टेलीग्राम हो whatsapp हो facebook हो या दूसरे साधन हो हमारे अनेकानेक मित्र बन जाते हैं

➡ जिन से लेना एक न देना दो । ना वह हमारे भाइयों में से हैं ना बहन होते हैं ना मां होते हैं ना बेटी होते हैं लेकिन उनसे कहीं ना कहीं हमारा थोड़ा बहुत स्वभाव मिल जाता है

➡ वह हमें हम उनको अच्छे लगने लगते हैं । प्रारंभ में तो कुछ शिष्टाचार । कुछ व्यवहार निर्वाह । कुछ वाक् पटुता ।  कुछ व्यवहार कुशलता से एक दूसरे को अच्छे लगने का क्रम चलता रहता है

➡ बाद में कभी-कभी हमें पता चलता है कि हमारा और उसका स्वभाव एक जैसा नहीं है । परस्पर अब सम्मान भी नहीं रहा । प्रेम भी नहीं रहा । एक दूसरे को क्रिटीसाइज करना और एक दूसरे पर विवाद करना आक्षेप करना इत्यादि रह गया

➡  और

➡ इससे हम अनावश्यक तनाव में रहते हैं टेंशन में रहते हैं हमारी चेष्टाएं भी बार बार उधर जाती हैं के देखें क्या हुआ क्या लिखा ऐसे में विवेक का परिचय देते हुए ऐसे लोगों से  तुरंत ही दूर हो जाना चाहिए

➡ क्योंकि इनके साथ हम व्यवहार निर्वाह करते रहें ऐसी कोई भी मजबूरी नहीं है एक भावना के अतिरिक्त कुछ भी नहीं है

➡ शास्त्र तो कहता है
राम जाके प्रिय न राम वैदेही
तजिए ताहि कोटि वैरी सम यद्यपि परम स्नेही

➡  और इसके उदाहरण में माता का पिता का भाई का त्याग शास्त्र का आदेश है । चलिए हम माता पिता भाई पति पत्नी का त्याग न कर पाएं तो ऐसे अनावश्यक फालतू लोगों का त्याग हमें तुरंत कर देना चाहिए जो हमारे मानसिक संतुलन बुद्धि विवेक को डिस्टर्ब करते हैं और हम उनसे एक अलग तरह की परेशानी से बंध जाते हैं

➡ उस बंधन को तुरंत तोड़ कर हमें अपने मुख्य लक्ष्य भगवत भजन की ओर लगना चाहिए अन्यथा यह डिस्टरबेंस मन मस्तिष्क को परेशान करती है और चिंतन या भजन नहीं बन पाता है

➡ और हम यहाँ आये तो भजन क लिए थे । लेकिन ओटन लगे कपास ।

समस्त वैष्णव जन को मेरा सादर प्रणाम

 🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई ॥ 🐚

🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
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फिर मज़बूरी क्या है जी

Monday, 22 August 2016

ग्रन्थ परिचय - श्रीशिक्षाष्टक

📖   ग्रन्थ      परिचय  2⃣ 1⃣ 📖

💢 ग्रन्थ  नाम : श्रीशिक्षाष्टक 

💢 लेखक : महाप्रभु श्रीचैतन्य   
     
💢 भाषा : संस्कृत मूल व  हिन्दी
    
💢 साइज़ : 12 x 18  सेमी
💢 पष्ठ  : 48 सॉफ्ट बाउंड
💢 मल्य : 15 रूपये

💢 विषय वस्तु :
      श्रीचैतन्य महाप्रभु के मुख से निःसृत
      श्रीप्रेमामृतरसायनस्तोत्र, श्रीराधारसमंजरी
      श्रीयुगलपरिहारस्तोत्र एवं श्रीजग्न्नाथदशक    

💢 कोड : M021-Ed2

💢 पराप्ति  स्थान

1⃣ खण्डेलवाल बुक स्टोर वृन्दाबन
2⃣ हरिनाम प्रेस वृन्दाबन
3⃣ रामा स्टोर्स, लोई बाजार पोस्ट ऑफिस

📬 डाक द्वारा । 09068021415
      पोस्टेज फ्री

📗🔸📘🔹📙🔶📔

श्रीशिक्षाष्टक 

अंतर

​​✔  *अंतर*  ✔ 
➡ श्री राम रूप में प्रभु ने अस्त्र । शस्त्र
धारण कर असुरों को मारा
➡ श्री कृष्ण रूप में प्रभु ने
व्रज में अनेक असुर तो मारे
लेकिन अस्त्र नहीं उठाया ।
हाँ द्वारका मथुरा में अस्त्र उठाया
➡ श्री चैतन्य महाप्रभु रूप में प्रभु ने
न तो अस्त्र उठाया
न किसी को मारा ही । अपितु
जो भी दुष्ट थे उन्हें
प्रेम प्रदान कर वैष्णव बना दिया ।
जेसे क़ाज़ी । जगाई माधाइ ​

🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई  ॥ 🐚


🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
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Wednesday, 17 August 2016

दिल में और दुआ में


✔  *दिल  में और दुआ में*  ✔

प्रभु जी
ये कितना सही है
दुनिया में रहने की सबसे अच्छी दो जगह ‘किसी के दिल में’ या ‘किसी की दुआओं में’ !!
कृपया समझाएं

Tuesday, 16 August 2016

ईमानदारी

✔  * ईमानदारी*  ✔

अपने कर्तव्यों को
ईमानदारी से करना धर्म है ।

और सबसे बड़ा कर्तव्य है
भगवान की भक्ति करना । ये भी
ईमानदारी से । इसलिए इसे
परम धर्म कहते है । और जो ईमानदारी से
परम धर्म करता है वह धर्म तो
करता ही है । ठीक वेसे
जेसे इंटर पास व्यक्ति ने कक्षा 5 तो
पास की ही होती है ।

एक वैष्णव नित्य कृष्णदास

✔  *एक वैष्णव नित्य कृष्णदास*  ✔

एक वैष्णव
यदि
 उसे अपना
नित्य कृष्णदास
स्वरूप याद
रहता है तो 


वह
आशीर्वाद कैसे
दे सकता है


वो तो दास है
यदि देता है तो
वह भूल गया है
वैष्णव तो सदा
यही कहता है
प्रभु तुम पर कृपा
करें ।

क्या सोचते हैं
आप

🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई  ॥ 🐚
🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
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एक वैष्णव नित्य कृष्णदास



Monday, 15 August 2016

श्री राधा रानी ब्रज की रखवारी

जय हो
  श्री राधा रानी के व्रज रखवारी
के बारे में एक फैक्ट और भी है
जो बहुत जन जानते है
और बहुत नही जानते ।
वृन्दाबनं में जो शासन है
प्रशासन है उसकी अधीश्वरी
श्रीराधा रानी हैं ।
 एक बार इस विषय में
सब सखा सखियों में
बहस छिड़ गयी कि राजा कौन ।
सखा बोले नंदलाल
श्रीकृष्ण ही राजा हैं । और कौन ।
सखिया बोली । राजा हैं
हमारी राधा रानी ।

सखा एवम् सखियों की सभा हुई

सबने अपने अपने तर्क रखे ।
कृष्ण एवम् सखा हार गए ।
हार स्वीकार की । एवम् सर्व सम्मति
से स्वयं कृष्ण एवम् सखाओं ने
श्री प्रिया जी का तिलक व
राज्याभिषेक किया ।
तब से श्री राधारानी ही
ब्रज की रानी हैं ।
प्रशासक हैं । व्रज रखवारी हैं ।
 इस पूरी लीला का वर्णन
माधव महोत्सव नामक ग्रन्थ में
श्री जीव गोस्वामी जी ने किया है ।
प्रामाणिक ग्रन्थ है । काल्पनिक नहीं ।
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 ॥ जय श्री राधे ॥ 
 ॥ जय निताई  ॥ 
 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
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