श्री हरिभक्ति विलास में लिखा है -
'जिसके मस्तक पर उर्ध्व पुण्डर की बजाय त्रिपुंड दिखाई दे
उसको देखने एवं स्पर्श करने से एक वैष्णव को
वस्त्रों सहित स्नान करना चाहिए
मस्तक पर दो खड़ी रेखा वाले तिलक को उर्ध्वापुंड
और आड़ी तीन रेखा वाले तिलक को त्रिपुंड कहते है
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