Thursday 10 November 2011

135. सम्पत्ति गोपनीय क्यों ?

some pics of shri shyamdas ji



जिस प्रकार हम अपने लोकिक धन सम्पति को  छिपा कर रखते है 
किसी को सहज नहीं बताते 
यात्रा मै चलते समय पैसो को पर्स मैं 
और पर्स को सुरक्षित स्थान पर छिपा लेते हैं 
उसी प्रकार 
साधकों, भक्तों को भी अपनी सम्पत्ति को सदैव गोपनीय रखना चाहिए |

ठाकुर ने आज स्वप्न में ये कहा 
ठाकुर ने आज मुझ पर फूल गिराया 
आज मैंने इतना इतना भजन किया 
ये ही साधकों की सम्पत्ति है - इन्हें किसी को बताने से ये लुप्त हो जाती है 
और कभी कभी ये अहंकार का कारन भी बनती हैं |

मैंने कहा -ठाकुर जी ने मुझे एक फूल प्रदान किया 
वह बोली - मुझ पर तो ठाकुर ने पूरी माला ही डाल दी, 
जब मै प्रणाम कर रही थी 
इससे अहंकार राग-द्वेष  का पोषण होता है | 

कोई यदि बखान करे भी तो दैन्य धारण करके 
उसके सोभाग्य की प्रशंसा करते हुए उसे प्रणाम करना चाहिए |
ठाकुर और आपकी बात - आप दोनों मै 
ही रहना चाहिए - इसे सार्वजनिक नहीं करना चाहिए |  

JAI SHRI RADHE

DASABHAS Dr GIRIRAJ nangia
Lives, Born, Works = L B W at Vrindaban

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