निष्ठा
साधन मैं परिपक्व अवस्था का
नाम ही निष्ठा है
दंभ
हठ पूर्वक ऊपर ऊपर से
इन्द्रियों को रोककर, अन्दर से
या मन से यदि इन्द्रियों के विषयों का
चिन्तन करने वाला दम्भी है
चोर
देवताओं द्वारा दिए गए
भोग या सुविधाओं कोस्वयं ही भोगता रहे
और यज्ञ-दान या अन्य किसी भी प्रकार से
देवताओं को न दे, वह चोर है
JAI SHRI RADHE
अवश्य ज्वाइन करें
No comments:
Post a Comment