विषयों का चिन्तन करने से
विषय मैं आसक्ति उत्पन्न होती है
आसक्ति से कामना उत्पन्न होती है
कामना मैं विघन पड़ने से क्रोध होता है
क्रोध से मूढ़ यानी मूर्खता का भाव उत्पन्न होता है
कहते है न कि क्रोध मैं पागल हो जाते हैं |
इस मूढ़ता से "स्मृति भ्रम" होता है
यानी क्रोध मैं
वह अगली पिछली बातों, संबंधों, उपकारों
को भूल जाता है यह भी भूल जाता है कि यह मेरा पिता, पत्नी या कोंन है
स्मृति भ्रम होने से बुद्धि नाश होता है सिर्फ बकता ही बकता है
बुद्धि नाश होने से यह पुरुष अपने ही व्यक्तित्व से गिर जाता है |
अत: कोशिश करके विषयों का चिन्तन त्यागना चाहिये |
विषयों से अर्थ है लौकिक वस्तुओं की चाह
संक्षेप में अपनी समर्थ से अधिक, अपनी योग्यता से
अधिक की चाहना करते हुए दुसरे की बराबरी करना या उससे भी
आगे बढ़ने की इच्छा करना आदि..
JAI SHRI RADHE
DASABHAS Dr GIRIRAJ nangia
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