नित्य - निरंतर नाम-जप व् प्रार्थना
प्रेम प्राप्ति हेतु परम आवश्यक अंग हैं
नाम - जप नियमित हो, संख्या पूर्वक हो,
साथ ही पूर्ण निष्ठा - पूर्वक हो, यह भी आवश्यक है
हाथ-पैर मारकर किसी प्रकार से उलटा - सीधा एक लाख
नाम - जप करने की अपक्षा अति श्रद्धापूर्वक दस - पांच माला
करना अधिक प्रभावी हो सकता है
साथ ही प्रभु - भजन में परम महत्वपूर्ण है - 'विकलता' यानी 'तड़फ'
भजन करते समय प्रति क्षण ये तड़फ बनी रहे - 'क्यों ? आखिर क्यों ?
आपने प्रभु ! मुझ पर कृपा क्यों नहीं की ?????
यह तड़फ या विकलता पैदा होते ही फिर प्रभु अधिक देर तक
अपने आप को रोक नहीं पाएंगे !!!!!!!!!!!
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